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भौतिक उन्नति में देश चाहे अमेरिका को पीछे छोड़ दे, लेकिन सुख शांति तभी होगी जब गोहत्या का कलंक मिटेगा

locationमंदसौरPublished: Apr 18, 2019 07:23:55 pm

Submitted by:

Jagdish Vasuniya

भौतिक उन्नति में देश चाहे अमेरिका को पीछे छोड़ दे, लेकिन सुख शांति तभी होगी जब गोहत्या का कलंक मिटेगा

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भौतिक उन्नति में देश चाहे अमेरिका को पीछे छोड़ दे, लेकिन सुख शांति तभी होगी जब गोहत्या का कलंक मिटेगा

मंदसौर । सांवलिया गोशाला कुंचड़ौद में ब्रह्मलीन स्वामी नित्यानंद महाराज के प्रतिमा की स्थापना की गई। कलशारोहण समारोह भागवत प्रवक्ता कमलेश शास्त्री, संत श्वासानंदजी महाराज, युवाचार्य महेश चैतन्य महाराज, फलाहारी बाबा एवं गोभक्त तुलसीराम के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हुआ। प्रतिष्ठा उज्जैन के आचार्य बालकृष्ण शास्त्री ने संपन्न कराई। लाभार्थी भागीरथ राठौर तो कलशारोपण के लाभार्थी गोशाला अध्यक्ष दशरथ कुंडेल एवं महाआरती के लाभार्थी गणेशराम ओझा थे। मंचासीन संतों, गोभक्तों का बहुमान सरपंच गोपाल ओझा, गोााला संरक्षक भंवरलाल ओझा, अध्यक्ष दशरथ कुंडेल, सचिव दशरथ गोयल, सहसचिव कालुराम करा, कोषाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण कुंडेल व अन्य ने किया।
इस अवसर पर शास्त्री ने गोमाता की सेवा में गोग्रास के लिए प्रतिदिन एक रूपया समर्पित करने के लिए सभी से आह्वान किया। एवं इसके लएि 100 दानपात्र श्रद्धालुओं को देते हुए कहा कि प्रतिदिन 1 रुपए की राशि पात्र में डालने हर दिन 4-5 हजार आबादी वाली आबादी में यदि 1000 दानपात्र घरों में पहुंच जाएंगे तो एक वर्ष में 3 लाख 6 5 हजार की राशि एकत्रित हो जाएगी। जो गोसेवा के लिए बड़ा काम करेगी। संत श्वासानंदजी ने कहा कि देश में एक तरफ तो आजादी के बाद भी बूचड़ खानों में प्रतिदिन सेकड़ों गायों के आधुनिक मशीनों द्वारा कत्ल किया जा रहा है और गोमांस नियांत किया जा रहा है। देश पर लगे गोहत्या के कलंक को धोया नहीं जा रहा है दूसरी और गोपालकों द्वारा दूध निकालने के बाद गायों को छोड़ दिया जाता है जो आवारा पशु की तरह घुम रही है। यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सभी पद-पैसा-प्रतिष्ठा की होड़ में लगे हुए है और इससे हर कोई अशांत है।
संत महेश चैतन्य ने देशी गाय की महिमा और महत्व बताते हुए कहा कि वर्तमान में पूरे विश्व को ग्रसित किए हुए ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण जीव हिंसा भी है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने शोध कर यह प्रस्तुत किया है कि कार्बनडाईक्साईड जैसी गैसों का जो उत्सर्जन हो रहा है उसका एक कारण जीव हिंसा है। घातक बीमारियों का विस्तार हो रहा है। संगीतमय भागवत कथा में संगीतकार मनोज धाकड़, राजेश मीणा, राधेश्याम पाटीदार तथा मुकेश प्रजापत का मधुर संगीत कथा में आकर्षण का केंद्र रहा। संचालन बंशीलाल टांक, गोपाल गुजरिया ने किया।

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