मंदसौरPublished: Apr 21, 2019 07:29:24 pm
Jagdish Vasuniya
हथियार से किए हुए घाव की अपेक्षा शब्दों का घव अधिक खतरनाक होता है
हथियार से किए हुए घाव की अपेक्षा शब्दों का घव अधिक खतरनाक होता है
मंदसौर । हथियार से किया हुआ घाव तो फिर भी भर जाता है, लेकिन शब्दों का घाव उससे भी अंनत गुना खतरनाक होता है। वह आसानी से नहीं भरता है। वाणी अणु बम और परमाणु बम से भी घातक सिद्ध हो सकती है। धार्मिक व्यक्ति की भाषा मधुर प्राणी मात्र को आनंद की अनुभूति कराने वाली होती है। यह बात राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने रविवार को अफजलपुर में नवनिर्मित जैन स्थानक भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करके कही।
उन्होंने कहा कि कठोर वचन हिंसा की जननी है उसे अगले का नुकसान हो या ना हो लेकिन उस क्रूरता से स्वयं के सद्गुण नष्ट हो जाते हैं। मुनि कमलेश ने कहा कि तन हिंसा से भी वचन हिंसा ज्यादा हानिकारक है एक शब्द में महाभारत खड़ा कर दिया। ज्ञानी व्यक्ति बोलने से पहले सोचता है और अज्ञानी व्यक्ति बोलने के बाद सोचता है। राष्ट्रसंत ने कहा कि अमर्यादित भाषा असंयमित भाषा पापों की जननी अनर्थ की खान है। शब्दों में अमृत भी है और जहर भी है।
सभी धर्मों में संयमित भाषा को बताया धर्म
जैन संत ने बताया कि विश्व के सभी धर्मों ने संयमित भाषा प्रयोग को ही धर्म बताया है जिसके द्वारा किसी को पीड़ा ना हो भावना आहत ना हो राष्ट्र संत ने चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों में भाषा के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते कहा कि देश का नेतृत्व करने वाले जो कड़वा हट घोल रहे हैं। सिद्धांतों के आधार पर प्रचार-प्रसार ना होकर व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति देश के भविष्य के लिए उचित नहीं है। पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा ने कहा कि संतो की अमृतवाणी विश्व शांति को स्थापित कर सकती है। संत वही है जिसकी वाणी में मधुरता और जीवन में शालीनता हो। अनिल संचेती ने कहा कि संतों की वाणी दुनिया में ना होती आज हमारा अस्तित्व नजर नहीं आता। मंच के अध्यक्ष दिनेश श्रीवास्तव, सुरेंद्र उकावत, नरेंद्र राका, राष्ट्रीय दिवाकर मंच मप्र महिला शाखा के अध्यक्ष शशी मारू, विजय पाटीदार, परशुराम सिसोदिया अतिथि के रूप में सम्मानित किए गए। यशवंत कमल मुनि कमलेश की 40 दीक्षा जयंती के उपलक्ष में जैन स्थानक भवन के लिए करीब 10,0000 की राशि दानदाताओं राशि प्रदान की घनश्याम मुनिजी मंगलाचरण किया।