क्रूरता अधर्म, पाप और पतन का मार्ग है
मंदसौर•May 06, 2019 / 07:09 pm•
Jagdish Vasuniya
क्रूरता अधर्म, पाप और पतन का मार्ग है
मंदसौर । क्रूरता के कीटाणु जिस के निमित्त से हमारे अंदर निर्मित होते हैं उसे अगले का नुकसान हो या ना हो परंतु हमारे में रहे हुए सद्गुण क्रुरता के हथियार से कत्ल हो जाते हैं। यह बात सोमवार को राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने जैन दिवाकर भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि क्रूरता से धार्मिक आदमी भी शैतान के रूप में परिवर्तित हो जाता है। मुनि कमलेश ने कहा कि क्रूरता के वशीभूत होकर हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटेक, ब्रेन हेमरेज जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार हो जाता है। जैन संत ने कहा कि क्रूरता के दुर्गुण जीवन में प्रवेश कर जाते हैं। उसका जप, तप, दान सेवा और साधना सभी क्रूरता के भेंट चढ़ जाते हैं। क्रूरता आतंकवाद की जननी है विश्व के सभी धर्मों ने कहा कि क्रूरता से मुक्ति पाए बिना धार्मिक नहीं हो सकता है। जिस प्रकार दिन और रात एक साथ नहीं रह सकते वैसे ही क्रूरता और करुणा एक दिल में एक साथ नहीं रह सकते हैं। महासती सुयशा ने कहा कि करुणा की नीव पर ही धर्म मोक्ष की मंजिल निर्मित की जा सकती है। करुणा के गुण आते ही सभी गुणों का प्रवेश आत्मा अपने आप हो जाता है। घनश्याम मुनि ने मंगलाचरण किया। आज सुबह 9 बजे जनकूपुरा जैन स्थानक भवन में राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश के तीसरे वर्षी तप के उपलक्ष में वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वाधान में अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच की ओर से अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया है।