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धर्म के मूल्यों को किसी पंथ संप्रदाय की सीमाओं में कैद नहीं किया जा सकता

locationमंदसौरPublished: May 13, 2019 07:54:38 pm

Submitted by:

Jagdish Vasuniya

धर्म के मूल्यों को किसी पंथ संप्रदाय की सीमाओं में कैद नहीं किया जा सकता

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धर्म के मूल्यों को किसी पंथ संप्रदाय की सीमाओं में कैद नहीं किया जा सकता

मंदसौर । धर्म के मूल्यों को किसी पंथ संप्रदाय की सीमाओं में कैद नहीं किया जा सकता। धर्म शाश्वत है। त्रिकाल सत्य है, धर्म के मूल्य सत्य, अहिंसा, करुणा, प्रेम एक ही है। उसके अभिव्यक्ति के माध्यम साधन अलग.अलग हो सकते हैं। यह बात सोमवार को राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने गुरुद्वारे में धर्मसभा में कहा। उन्होंने कहा कि जब.जब धर्म के मूल्यों में विकृति आई तब.तब महापुरुषों ने विकृतियों के खिलाफ वैचारिक क्रांति का शंखनाद करते हुए जनता को सद्मार्ग प्रदान किया।
मुनि कमलेश ने कहा कि महापुरुषों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। हमारे नाम पर नई संप्रदाय खड़ी हो जाएगी। दुर्भाग्य है जिसने क्रांति की उन्हीं के नाम पर स्वार्थी तत्वों ने अपनी दुकानदारी चालू करके उनके सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ किया है। गुमराह और भ्रमित करके इंसान से इंसान को लड़ाया है। मुनि कमलेश ने कहा कि गुरु नानक देव ने आध्यात्मिक ज्ञान के सहारे वैचारिक क्रांति द्वारा जनमानस को उद्वेलित करते हुए कर्मकांड से ऊपर उठकर जीवन को धर्म के आचरण साथ जोडऩे का संदेश दिया। राष्ट्रसंत ने बताया कि सभी धर्म केे समन्वय की शिक्षाओं का गुलदस्ता गुरु ग्रंथ साहब है। इसके माध्यम से संपूर्ण विश्व को शांति मिल सकती है। जैन संत ने कहा कि तन-मन और विचार के साथ समाज को पवित्र बनाते हुए हिंसा, नशा, बुराइयों से मुक्ति दिलाने के लिए गुरु गोविंद सिंह के सैनिक बनके काम करना है। पर्यावरण, शाकाहार, स्वच्छता, सर्वधर्म, सद्भाव के कार्यों को प्रमुखता देनी है। सीख संगत के प्रमुख सरदार बलजीतसिंह नारंग, कमलसिंह चावला, चरणसिंह बग्गा, हरमंदिर सिंह अरोरा, सुखमणि सबका जयंत भेंट करते हुए अभिनंदन किया। मंदसौर समरसता मंच के दर्शनसिंह झाला, श्याम चौधरी, ब्रजेश जोशी, कन्हैयालाल सोनगरा, विनोद मेहता, प्रकाश सुराणा का स्वागत किया गया।

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