आदिवासी मजदूरों को उनके ठिकानों पर भेजने की मुहिम प्रशासन द्वारा 2 दिन चलाई गई वह भी मजदूरों के आरोप के बाद विवादों के घेरे में आ गई है। बस में बैठाते समय उनसे किसी तरह का किराया नहीं वसूलने के लिए आश्वस्त किया गया था किंतु बाद में मजदूरों का एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें बस में उनसे नारायणगढ़ से 200 किराया वसूलने की बात सामने आई है। उक्त वीडियो जारी होने के पश्चात प्रशासन के किसी भी अधिकारी नहीं आने से मजदूरों की बात में वजन दिख रहा है। बस में मजदूरों से की गई वसूली का वीडियो ज्यो ज्यो आम जनता में वायरल हो रहा है वैसे वैसे शासन प्रशासन की छवि को धक्का लगा है। आसपास के गांव में मजदूरी करने वाले आदिवासी लोगो की बड़ी संख्या मंगलवार को भी नारायणगढ़ में देखने को मिली। जो झुंड के झुंड बनाकर एक साथ चल व रह रहे दिखे। नगर के रावण चौक पर मंगलवार की दोपहर को चिल चिलाती धूप में छोटे छोटे बच्चों के साथ आदिवासी लोग काफी देर तक बैठे रहे किंतु उनकी सुध लेने कोई जिम्मेदार नहीं पहुंचा।नगर के नाका न 3 पर डेरा तंबू लगाकर रह रहे मज़दूर शाम के समय सब एक साथ एकत्रित होते है किंतु प्रशासन उससे भी बेखबर है। नगर के पाटीदार धर्मशाला के अलावा मांगलिक भवनों में बिस्तर लगाकर मजदूरों के ठहरने का इंतजाम तो किया गया है पर उदासीनता के चलते सब सुने पड़े दिखे।
क्या कहते है अधिकारी
मजदूर व अन्य कामगार लोग अब जो जहां है वही ठहरेंगे।प्रशासन द्वारा उनके रहने व खाने इत्यादि के इंतजाम कर रखे है।किसी भी व्यक्ति को किसी भी चीज के लिए मोहताज नही रहना पड़ेगा।
प्रीति भिंसे, तहसीलदार मल्हारगढ़
मजदूर व अन्य कामगार लोग अब जो जहां है वही ठहरेंगे।प्रशासन द्वारा उनके रहने व खाने इत्यादि के इंतजाम कर रखे है।किसी भी व्यक्ति को किसी भी चीज के लिए मोहताज नही रहना पड़ेगा।
प्रीति भिंसे, तहसीलदार मल्हारगढ़