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पारस पत्थर की तरह है सत्संग, जिसेे छूकर लोहा भी हो जाता है सोना

locationमंदसौरPublished: Jul 20, 2018 08:02:55 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

चैतन्य आश्रम मेनपुरिया में भागवत कथा से गुरूपूर्णिमा महोत्सव का हुआ शुभारंभ

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पारस पत्थर की तरह है सत्संग, जिसेे छूकर लोहा भी हो जाता है सोना

मन्दसौर । श्री चैतन्य आश्रम मेनपुरिया में श्रीमद् भागवत कथा से गुरू पूर्णिमा सप्तदिवसीय महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में औंकार चेतन महाराज ने कहा कि यदि संसार में रहते हुए निष्काम भाव से कर्म करते हुए हम सुखी तभी हो सकते है जब जीवन में सत्संग का आश्रय हो। सत्संग पारस पत्थर की तरह है जिसको छूकर लोहा भी सोना हो जाता है। उन्होंने कहा कि अमृतपान से शरीर से अमर तो हो सकते है लेकिन मन के विचार तो तभी मिटेंगे जब सत्संग का प्रभाव जीवन में हो और सत्संग भी किसी ब्रह्मनिष्ठ महापुरूष के सानिध्य में रहकर किया जाएं। स्वामी नित्यानंद महाराज ने दो प्रकार की गंगा बताते हुए कहा कि प्रथम भागीरथी गंगा है जो प्रत्यक्ष है और दूसरी ज्ञान गंगा है जो अप्रत्यक्ष है। भागीरथी गंगा में स्नान से तन तो शुद्ध हो सकता है परन्तु जिस प्रकार मदिरा भरे मटके को गंगाजी में हजार बार डूबाने से भी वह पवित्र नहीं होगा इसी प्रकार शरीर रूपी मटके में जब तक काम, क्रोध, लोभ, मोह रूपी मदिरा भरी रहेगी मन पवित्र नहीं होगा परन्तु सत्संग रूपी ज्ञान गंगा में स्नान करने से विकारों का शमन होकर मन पवित्र हो जाता है। धर्मसभा को मोहनानंद महाराज, जगदीशानंद महाराज सूखेड़ा ने भी संबोधित किया। धर्मसभा में अध्यक्ष प्रहलाद काबरा, घनश्याम बटवाल, दयाराम दग्धी, राधेश्याम सिखवाल, जगदीशचन्द्र सेठिया, भेरूलाल कुमावत, राधेश्याम माली, रणछोड़लाल कुमावत, सत्यनारायण गर्ग, रूपनारायण जोशी, बंशीलाल टांक उपस्थित थे।

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