scriptकागजों से बाहर आई शहर को दुधिया रोशनी से जगमग करने की योजना | Plans to brighten the city out of papers with light | Patrika News

कागजों से बाहर आई शहर को दुधिया रोशनी से जगमग करने की योजना

locationमंदसौरPublished: Feb 21, 2020 03:02:05 pm

Submitted by:

Nilesh Trivedi

कागजों से बाहर आई शहर को दुधिया रोशनी से जगमग करने की योजना


मंदसौर.
अन्य शहरों की तरह मंदसौर भी दूधिया रोशनी से रोशन होगा। कई सालों से यह सपना विभागीय प्रक्रियाओं से लेकर कागजों में ही उलझा हुआ था। लेकिन अब शहर को दुधिया रोशनी से जगमग करने की यह प्रक्रिया कागजों से बाहर आई है। प्रदेश के निकायों के साथ मंदसौर शहर भी क्लस्टर में शामिल है।
जहां पीपीपी मोड पर शहर की प्रकाश व्यवस्था होगी और इसमें एलईडी लाईटें लगाई जाएगी। इससे नपा को आर्थिक लाभ होने के साथ ही शहर भी दुधिया व सफेद रोशनी से जगमन होगा। बताया जा रहा है कि निकायों को इस व्यवस्था के बाद विद्युत व्यवस्था पर खर्च हो रही राशि में ५० प्रतिशत तक की बचत होगी। लंबे समय से यह सपना कागजों में ही चल रहा था। पूर्व में नपा में शुरुआती स्तर पर इस पर काम भी किया था लेकिन शासन स्तर से ठेके पर जा रही व्यवस्था के बाद नपा ने अपने हाथ खींच लिए थे। ऐसे में एलईडी लाईटों से शहर को जगमग करने का सपना अधूरा ही रह गया। अब शासन स्तर पर फिर से इसकी शुरुआत होने के साथ निविदाएं भी निकल चुकी है। इसमें पीपीपी मोड पर यह व्यवस्था लागू होगी।

१८ लाख का बिल और १२ लाख अन्य हर महीने होते है खर्च
शहर में डिवाईडरों से लेकर उद्यान व प्रमुख सड़कों से लेकर बस स्टैंड व आवासी क्षेत्रों में प्रकाश व्यवस्था के नाम पर करीब १० हजार पोल लगे हुए है। जहां नपा ने सोडियम लैंप से लेकर वेपर लैंब व ट्युब लाईट से लेकर हेलोजेन लगा रखे है। प्रकाश व्यवस्था के बदले नपा को हर माह १५ से १८ लाख का बिल औसतम चुकाना पड़ता है। इसके अलावा पोल से लेकर संसाधनों व डीजल के साथ कर्मचारियों के अलावा अन्य काम में मिलाकर १२ लाख मिलाकर ३० लाख से अधिक की राशि नपा हर माह प्रकाश व्यवस्था के नाम पर वहन करती आ रही है। फिर भी प्रकाश व्यवस्था में सुधार की शिकायतों का नपा में अंबार लगा हुआ है। कर्मचारी से लेकर प्रशिक्षित लोगों की कमी भी विद्युत व्यवस्था में बड़ा रोड़ा बना हुआ है। यदि एलईडी बल्व व दूधिया रोशनी का दौर शहर में शुरु होता है तो मंदसौर भी बड़े शहरों की तहर जगहम होने के साथ नपा की बचत भी होगी।

प्रदेश में क्लस्टर व्यवस्था में 11 लाख लाइट की जगह लगेगी एलईडी
प्रदेश के 378 नगरीय निकायों की लगभग 11 लाख पारंपरिक लाईट की जगह क्लस्टर व्यवस्था में एलईडी लाईट लगाई जाएगी। योजना के क्रियान्वयन के लिए नगरीय निकायों को पूरे प्रदेश में करीब 20 क्लस्टर में बांटा गया है। योजना के क्रियान्वयन के लिए एक वर्ष और रख-रखाव के लिए 7 वर्ष की अवधि भी इसमें तय की गई है। यह पूरा कार्य शासन पीपीपी मोड पर करवाएगी। नगरीय निकायों को सागर, छतरपुर, देवास, नागदा, ग्वालियर, शिवपुरी, पीथमपुर, खरगोन, झाबुआ, खंडवा, मंदसौर, विदिशा, सीहोर, होशंगाबाद, सतना, सीधी, शहड़ोल, बालाघाट, जबलपुर और छिंदवाड़ा क्लस्टर में बाटा गया है। इसकी शुरुआत देवास क्लस्टर में शामिल 20 निकायों की निविदा स्वीकृत होने के साथ हो चुकी है। अब मंदसौर क्लस्टर में भी शामिल निकायों की स्वीकृति के बाद आगे की प्रक्रिया शुरु होगी। मंदसौर के साथ इस क्लस्टर में शामिल सभी निकायों में एलईडी लाईट से शहर रोशन होंगे।

फेक्ट फाईल
-शहर में नपा के लगे विद्युत पोल- १० हजार से अधिक
-इनमें सड़क, डिवाईडर, उद्यान से लेकर चौराहों पर लगी लाईट शामिल है।
-इन पर सोडियम से लेकर पावर सेवल, सीएफएल, ट्युब लाईट, वेपर लैंप लगे हुए है।
-स्ट्रीट लाईट को लेकर हर माह १५ से १८ लाख का भरना पड़ता है बिजली बिल
-मेंटनेंस से लेकर पोल व कर्मचारियों का वेतन मिलाकर लाईटिंग में नपा व्यय करती हैकरीब ३० लाख रुपए
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो