1 लाख १६ हजार किसानों की कटी प्रीमियम, विभाग के पास आंकड़ा भी नहीं
फसल बीमा मेें ८१० रुपए प्रति हैैक्टेयर सोयाबीन तो ४५० रुपए प्रति हैक्टेयर मक्का-उड़द की फसल के बीमें के लिए प्रीमियम काटी गई है। जिले में राष्ट्रीकृत बैंकों में ३२ हजार ५८६ किसानों की ३०७३९.८५ करोड़ की प्रीमियम काटी गई है। वहीं १०४ सोसायटियों में ६९०४१ हजार किसानों की ४ करोड़ ९६ लाख रुपए की प्रीमियम काटी गई है। इस तरह १ लाख १६ हजार किसानों की जिले में बैंक व सोसायटियों के माध्यम से प्रीमियम काटी गई है। लेकिन जिले में ढाई लाख से अधिक किसान है। ऐसे में कई किसानों ने फसल का बीमा नहीं कराया है।
फसल बीमा मेें ८१० रुपए प्रति हैैक्टेयर सोयाबीन तो ४५० रुपए प्रति हैक्टेयर मक्का-उड़द की फसल के बीमें के लिए प्रीमियम काटी गई है। जिले में राष्ट्रीकृत बैंकों में ३२ हजार ५८६ किसानों की ३०७३९.८५ करोड़ की प्रीमियम काटी गई है। वहीं १०४ सोसायटियों में ६९०४१ हजार किसानों की ४ करोड़ ९६ लाख रुपए की प्रीमियम काटी गई है। इस तरह १ लाख १६ हजार किसानों की जिले में बैंक व सोसायटियों के माध्यम से प्रीमियम काटी गई है। लेकिन जिले में ढाई लाख से अधिक किसान है। ऐसे में कई किसानों ने फसल का बीमा नहीं कराया है।
तीन सीजन का बीमा बाकी, चौथी की फिर काटी प्रीमियम
जिले के किसानों को पिछले तीन सीजन का फसल बीमा नहीं मिला है। जबकि उनकी प्रीमियम कट चुकी है। वर्ष २०१७ में ६५ हजार किसानों को एक सीजन का बीमा मिला था। किसानों को करीब ८७ करोड़ की राशि फसल बीमा की इसमें मिली थी। इसके बाद २०१७ रबी के बाद वर्ष २०१८ में रबी-खरीफ की फसल बीमा में नुकसानी को लेकर राशि अब तक नहीं मिली। वहीं इस बार की खरीफ फसल की नुकसान की प्रीमियम वह जमा करा चुके है। उस समय जिले के किसानों की फसलों का बीमा आईसीआईसी लेंबार्ड कंपनी ने किया था, लेकिन अब कंपनी बदल गई और अब रिलायंस कंपनी ने बीमा किया है।
जिले के किसानों को पिछले तीन सीजन का फसल बीमा नहीं मिला है। जबकि उनकी प्रीमियम कट चुकी है। वर्ष २०१७ में ६५ हजार किसानों को एक सीजन का बीमा मिला था। किसानों को करीब ८७ करोड़ की राशि फसल बीमा की इसमें मिली थी। इसके बाद २०१७ रबी के बाद वर्ष २०१८ में रबी-खरीफ की फसल बीमा में नुकसानी को लेकर राशि अब तक नहीं मिली। वहीं इस बार की खरीफ फसल की नुकसान की प्रीमियम वह जमा करा चुके है। उस समय जिले के किसानों की फसलों का बीमा आईसीआईसी लेंबार्ड कंपनी ने किया था, लेकिन अब कंपनी बदल गई और अब रिलायंस कंपनी ने बीमा किया है।
फसल बीमा के लिए निर्धारित सुत्र, लेकिन विभागीय रिपोर्ट पर तय हो रहा बीमा फसल कटाई पटवारी हल्को में किया जाता है। उसी से फसलों के उत्पादन का औसत निकालकर इससे फसल बीमा तय किया जाता है। इसमें ७ वर्ष में से दो वर्ष खराब मानते हुए उसे हटा देते है और फिर ५ वर्ष के आंकड़ों से इसका औसत निकाला जाता है। इसी सुत्र और औसत से निकाले जाने वाले फसल बीमा के फॉर्मूलें के आधार पर किसान बीमा राशि की पात्रता में आते है। हालांकि फसल बीमा के नियमों में यह तय है कि खेत को ईकाई मानकर बीमा तय किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है और पटवारी व विभागीय रिपोर्ट पर ही फसल नुकसान तय कर बीमा निर्धारित किया जाता है।
पोर्टल चालू नहीं हुआ
अभी प्रीमियम काटी गई है। इसका पोर्टल अभी चालू होना है। पोर्टल सरकार का है। डाटा भी हमें पोर्टल से ही मिलेगा। -अभिलाषसिंह, प्रबंधक, रिलायंस कंपनी ऑफलाईन आवेदन करें
फसल बीमा के लिए किसान ऑफ लाईन आवेदन करें। इसे कंसीडर करवाएंगे। फसल बीमा के लिए कंपनी का टोलफ्री नंबर जारी किया है। पिछले समय का बकाया बीमा राशि को लेकर अभी कोई निर्देश नहीं आए है। -डॉ. एएस राठौर, उपसंचालक, कृषि
अभी प्रीमियम काटी गई है। इसका पोर्टल अभी चालू होना है। पोर्टल सरकार का है। डाटा भी हमें पोर्टल से ही मिलेगा। -अभिलाषसिंह, प्रबंधक, रिलायंस कंपनी ऑफलाईन आवेदन करें
फसल बीमा के लिए किसान ऑफ लाईन आवेदन करें। इसे कंसीडर करवाएंगे। फसल बीमा के लिए कंपनी का टोलफ्री नंबर जारी किया है। पिछले समय का बकाया बीमा राशि को लेकर अभी कोई निर्देश नहीं आए है। -डॉ. एएस राठौर, उपसंचालक, कृषि