scriptमहाशिवरात्रि पर 28 साल बाद बनेगा विष योग | Poison Yoga to be made after 28 years on Mahashivaratri | Patrika News

महाशिवरात्रि पर 28 साल बाद बनेगा विष योग

locationमंदसौरPublished: Feb 17, 2020 05:36:55 pm

Submitted by:

Mukesh Mahavar

21 फरवरी को मनाई जाएगी शिवरात्रि, सजने लगे शिव मंदिर

महाशिवरात्रि पर 28 साल बाद बनेगा विष योग

महाशिवरात्रि पर 28 साल बाद बनेगा विष योग

मंदसौर. 21 फरवरी को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि को लेकर भगवान पशुपतिनाथ मंदिर सहित अन्य शिवालयों में तैयारियां जोरों पर चल रही है। इस बार 117 साल बाद दुर्लभ योग में 21 फरवरी को शिवरात्रि मनाई जाएगी। अनेक मान्यताओं के कारण शिवरात्रि को शिवभक्त अपने आराध्य की विशेष पूजा-अर्चना करते है। इस बार 28 साल बाद विष योग भी बन रहा है। इस बार की शिवरात्रि कई मायनों में शिवभक्तों के लिए अहम है। हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिव पूजा का महापर्व मनाया जाता है। जब सूर्य कुंभ राशि और चंद्र मकर राशि में होता है, तब फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की रात ये पर्व मनाया जाता है। 21 फरवरी शाम 5.36 बजे तक त्रयोदशी तिथि रहेगी इसके बाद चतुर्दशी शुरू हो जाएगी।

1903 में दुर्लभ योग बना था : इस बार शिवरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। यह एक दुलर्भ योग है। जब ये दोनों बड़े ग्रह शिवरात्रि पर इस स्थिति में रहेंगे। 2020 से पहले 25 फरवरी 1903 को ऐसा ही योग बना था। इस साल गुरु भी अपनी स्वराशि धनु राशि में स्थित है। इस योग में शिव पूजा करने पर शनि, गुरु, शुक्र के दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है। 21 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। पूजन और नए कार्यों की शुरुआत के लिए ये योग बहुत ही शुभ माना गया है।
शिवरात्रि पर 28 साल बाद बनेगा विष योग : शनि ने 23 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश किया है। शिवरात्रि पर शनि के साथ चंद्र भी रहेगा। शनि-चंद्र की युति की वजह से विष योग बन रहा है। इस साल से पहले करीब 28 साल पहले शिवरात्रि पर विष योग 2 मार्च 1992 को बना था। शिवरात्रि पर बुध और सूर्य कुंभ राशि में एक साथ रहेंगे। इस वजह से बुध-आदित्य योग बनेगा। इस दिन सभी ग्रह राहु-केतु के मध्य रहेंगे। इससे सर्प भी बन रहा है। शिवरात्रि पर राहु मिथुन राशि में और केतु धनु राशि में रहेगा। शेष सभी ग्रह राहु-केतु के बीच रहेंगे। सूर्य और बुध कुंभ राशि में, शनि और चंद्र मकर राशि में, मंगल और गुरु धनु राशि में, शुब्र मीन राशि में रहेगा।
जब ब्रह्मा व विष्णु ढूंढने निकलें शिव का आधार और ऊपरी भाग
पौराणिक कथाओं में कहा गया कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका न तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति का विवाह हुआ था। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिवरात्रि के 15 दिन बाद होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।
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