पालियोजिन युग के कालखंड से पूर्व के समुद्री कछुए का जीवाश्म खोजा गया
पालियोजिन युग के कालखंड से पूर्व के समुद्री कछुए का जीवाश्म खोजा गया
मंदसौर
Published: July 04, 2022 10:28:06 am
भानपुरा.
भानपुरा क्षेत्र के आसपास पृथ्वी पर हुए भौगोलिक व भूगर्भीय हलचलों में प्रकट हुए अरावली के सुदूरपूर्व तथा दक्षिण पूर्व में 6 करोड़ वर्ष या इससे भी पूर्व विकसित हुई विंधान शेल श्रंखला है।
जो भांडेर कैमूर से लेकर पश्चिम में निम्बाहेड़ा चित्तौड़ तक विस्तृत है। इसी शेल श्रंखला के भानपुरा रामपुर पठार पर स्थानीय पुरवेत्ता डॉ प्रद्युम्न भट्ट ने समुद्री कछुए का पूर्ण अश्मीभूत जीवाश्म खोजा है। जिसे डॉ भट्ट ने तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर पालियोजिन युग के पूर्वार्ध का होना माना है। डॉ भट्ट ने गहन अध्ययन के बाद माना है कि यह घटना कोई एक करोड़ वर्ष पूर्व की होना चाहिए। जब पृथ्वी पर महासमुद्र सीमिट कर वर्तमान स्वरूप में बदल रहे थे तब समुद्रों के सिमिटने के दौरान समुदरी जीवन के कछुए आदि जीवन रक्षा के लिए पानी से घिरे द्वीपों या पानी से घिरे शेल श्रंखला के ऊपर की ओर बढ़े लंबी शुष्क जलवायु में बडी संख्या में इन प्राणियों का विनाश मास डेथ हुआ। ये प्राणी सशरीर अश्मीभूत हो गए।
2006 में पूरा जीवविज्ञानी प्रोफेसर जीएल बादाम भानपुरा आए थे तब उन्हें लोटखेड़ी में रमेश पंचोली के खेत से मिले कछुए के केरपेस के टुकड़े दिखे थे तब उन्होंने उनखंडों को दो करोड़ वर्ष प्राचीन बताया था। जैव विकास के क्रम में वैज्ञानिक मानते है कि पृथ्वी पर सरीसृप कछुए आदि साढे सत्रह करोड़ वर्ष पूर्व अस्तित्व में आ चुके थे। देखे गए जीवाश्म की लंबाई 53 सेंटीमीटर आयतन लगभग 32 लीटर, भार 55 किलोग्राम से अधिक ही है। इस जीवाश्म की खोज में डॉ प्रतिभा, मनीषा अनिरुद्ध व तक्ष शर्मा का सहयोग रहा। डॉ भट्ट ने इस जीवाश्म को ट्रायोनिक्स विंध्यानिक्स नाम देना उचित माना है। भानपुरा रामपुरा पठार मूलत: विंध्यान शेल श्रंखला का ही भाग है। डॉ भट्ट इससे जुड़ी पुराणोक्त मान्यताओं को भी उधृत कर विकासवाद को प्रमाणित मानते हुए। विष्णु का प्रथम महावतार मत्स्य फिर कूर्म व बाद में वराह था वामन रूप हुआ। इसके प्रमाण शास्त्रों में है। विंध्यान व गुरु अगस्त्य के उल्लेख भी विकासवाद को ही प्रकारांतर से प्रमाणित करते है। याद रहे ट्रिएसिक व जुरादिक काल खंडों के प्रमाण विद्वानो ने नर्मदा घाटी के जीवाष्मों को प्रमाण मान कर दिए। भानपुरा की पहाड़ी से सडक़ों के निर्माण में बहुत कुछ खत्म हो गया है जो बचा है उसे संरक्षित किया जाना समय की मांग है। डॉ भट्ट ने समूची इंदरगढ पहाड़ी व उसके पाश्र्व में स्थित जगहों को तत्काल संरक्षित करने की मांग की है।

पालियोजिन युग के कालखंड से पूर्व के समुद्री कछुए का जीवाश्म खोजा गया
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