scriptनिजी डॉक्टरों की हड़ताल, जिला अस्पताल में ५० फीसदी बढ़े मरीज | Private doctors strike 50 increase in patients in district hospital | Patrika News

निजी डॉक्टरों की हड़ताल, जिला अस्पताल में ५० फीसदी बढ़े मरीज

locationमंदसौरPublished: Jan 02, 2018 10:34:05 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

-सरकारी डॉक्टरों ने भी किया काली पट्टी बांध विरोध, डॉक्टरों ने दिया प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन

patrika

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया





मंदसौर.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर नेशनल मेडिकल कमीशन बिल लाने पर विरोध स्वरूप मंगलवार को निजी डॉक्टरेां ने हड़ताल की। इस हड़ताल में निजी अस्पताल में केवल आपातकालीन सेवाएं सुचारू रही। इस दौरान जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में रोजना से करीब ५० फीसदी ओपीडी में अधिक रहा। सरकारी अस्पताल में भी डॉक्टरों ने बिल का विरोध करते हुए काली पट्टी बांध कर कार्य किया। हड़ताल के दौरान ओपीडी में लंबी लाइने लगी रही।
आज ओपीडी में पहुंचे ७५१ मरीज
जिला अस्पताल में निजी डॉक्टरों की हड़ताल होने के कारण मरीजों की संख्या अधिक रही। गत दिवस जिला अस्पताल में ४१७मरीज पहुंचे थे। अमूमन ओपीडी में मरीजों की संख्या प्रतिदिन ४०० से लेकर ५५० के बीच रहती है। मंगलवार को हड़ताल के कारण ७५१ मरीज ओपीडी में पहुंचे। डॉक्टरो को बताने के लिए मरीज लाइन लगाकर खड़े थे। इंतजार के बाद मरीजों ने स्वास्थ्य परीक्षण करवाया। वहीं जिला अस्पताल की प्रयोगशाला में प्रतिदिन से अधिक जांच मंगलवार को हुई। मंगलवार को करीब २२० जांचे प्रयोगशाला में हुई। जो अन्य दिनों से ५० जांचे अधिक है।
रामगोपाल के दाए पैर पर लोहे की राड गिरने से पैर दाहिना पैर टूट गया। रामगोपाल ने बताया कि निजी अस्पताल गया था लेकिन वहां पर हड़ताल होने के कारण जिला अस्पताल पहुंचा। यहां पर भी अधिक भीड़ थी। इंतजार के बाद नंबर आया।
कुत्ता के काटने से घायल जितेंद्र ङ्क्षसह जिला अस्पताल पहुंचा। जितेंद्र ने बताया कि सीतामऊ स्वास्थ्य केंद्र पर गया था लेकिन वहंा इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था। उसके बाद जिला अस्पताल पहुंचा। यहां पर डॉक्टर को बताया और उपचार किया गया।
डॉक्टरों ने दिया ज्ञापन
मंगलवार दोपहर को निजी डॉक्टरों के साथ जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों की बैठक हुई। बैठक के बाद प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव को दिया गया। डॉ सौरभ मंडवारिया सहित अन्य डॉक्टरों ने बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन के दुष्प्रभाव से चिकित्सा शिक्षा महंगी होगी। आम घरों के बच्चे बड़ी कठिनाई से प्रवेश ले पाएंगे। शिक्षा महंगी तो चिकित्सा भी महंगी। मरीजों का खर्चा बढ़ेगा। कमीशन में भारत के केवल 5 राज्यों के प्रतिनिधि होंगे, अन्य राज्यों का कोई प्रतिनिधित्व नही होगा, इनकी कोई सुनवाई नहीं। भारतीय छात्र एमबीबीएस तक कुल 18 परीक्षा पास करेगा और फिर पंजीयन के लिए फिर एक परीक्षा देगा। प्रैक्टिस के लाइसेंस के लिए फिर एक परीक्षा । याने सरकार को अपने देश की पढ़ाई पर ही विश्वास नहीं है । कमीशन के 25 सदस्यों में से केवल 5 सदस्यों का चुनाव होगा। 20 सदस्य गैर चिकित्सक सरकारी कर्मचारीए मनोनीत सदस्य होंगे। अंतत: बिल जन विरोधी, प्रोरीच एप्रो प्राइवेट मैनेजमेंट होगा जो अमीरों के लिए होगा। चिकित्सा महंगी होगी। इस अवसर पर डॉ प्रीति मानावत, प्रदीप चेलावत, सुरेश जैन, सिद्धार्थ पाटीदार, अजय व्यास, अनिता गेहलोत, एसएस वर्मा सहित अन्य डॉक्टर मौजूद थे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो