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पापकर्मो का नष्ट करने के लिए आज रखा जाएगा ऋषि पंचमी का व्रत

locationमंदसौरPublished: Sep 03, 2019 11:38:58 am

Submitted by:

Nilesh Trivedi

पापकर्मो का नष्ट करने के लिए आज रखा जाएगा ऋषि पंचमी का व्रत

पापकर्मो का नष्ट करने के लिए आज रखा जाएगा ऋषि पंचमी का व्रत

पापकर्मो का नष्ट करने के लिए आज रखा जाएगा ऋषि पंचमी का व्रत


मंदसौर.
शहर सहित जिले में आज ऋषि पंचमी का पर्व महिलाओं द्वारा परंपरागत ढंग से मनाया जाएगा। इस दौरान व्रत रखने के साथ पूजा अर्चना कर कथा भी सुनेगी। भाद्रपद शुक्ल माह की पंचमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। ऋषि पंचमी का व्रत महिलाओं व कन्याओं द्वारा पापकर्मों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को कोई भी व्यक्ति अनजाने में लगे दोष जैसे किसी संत, ऋषि, मुनि का अपमान को मिटाने के लिए कर सकते है। पंचमी के इस व्रत को लेकर कई प्राचीन मान्यताएं है, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में कई बदलाव हो चुके है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा-अर्चना की जाती है।
ऋषि पंचमी के व्रत में सप्तऋषियों का पूजन किया जाता है।

पापों का नाश करने वाला और फलदाई होता है यह व्रत
ज्योतिषविद रवीशराय गौड़ बताते है कि सभी दिन ऋषि मुनि, साधु-संत का सम्मान करने के लिए शुभ होते है, परंतु ऋषि पंचमी के दिन यदि आपको कोई ऋषि, मुनि, संत मिले तो उसका आदर कर उन्हें क्षमता अनुसार सेवा की जाती है। ऋषि पंचमी की मान्यताएं आज के आधुनिक दौर के चलते बदलाव हो रहा है। पहले ज़माने में सुविधाएं उपलब्ध होने के कारण उनके लिए स्वछता बनाए रखना कठिन होता था। परंतु अब स्वच्छता बनाए रखना आसान हो गया। पाप इंद्र के हिस्से का जिसे महिलाएं बिना गलती के भोग कर पूरे संसार को आगे बढ़ा रही है। जो एक वरदान कीसंसार में अपना योगदान कर रही है, फिर भी लोगों की आध्यात्मिकता और विश्वास तथा हमारे धर्म की मान्यताओं का सम्मान करते हुए हम इस त्यौहार को और इसके महत्व को प्रणाम करतें हैं।

ऋषि ज्ञान का पहला प्रवक्ता है
गौड़ बताते है कि ऋषि मुनियों को हमारे यहां ज्ञान का पहला प्रवक्ता माना गया है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए जिन महापुरुषों ने एकांत अरण्य में निवास करके अपने प्रियतम परमात्मा में विश्रांति पाई। ऐसे ऋषियों, आर्षद्रष्टाओं को हमारे प्रणाम हैं। ऋषि पंचमी के दिन ऋषियों का पूजन किया जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से व्रत रखती हैं। ऋषि.मुनियों का वास्तविक पूजन है उनकी आज्ञा शिरोधार्य करना।

देवता होकर देवता की पूजा करो
ऋषि असंग, द्रष्टा, साक्षी स्वभाव में स्थित होते हैं। वे जगत के सुख-दु:ख, लाभ-हानि, मान-अपमान, शुभ-अशुभ में अपने द्रष्टाभाव से विचलित नहीं होते। वेदांत को सुन.समझकर असली मैं जाग्रत-विभू.व्यापक परमात्मस्वरूप में जाग जाना ही उनके आदर-पूजन का परम फल है। ऋषि.मुनियों को आर्षद्रष्टा कहते हैं। उन्होंने कितना अध्ययन करने के बाद सब बातें बताई है। ऐसे ही नहीं कह दिया है।
ब्रह्मा ने नारदजी को सुनाई थी कथा
ब्रम्हा ने इस व्रत की कथा नारद को सुनाई थी। इसमें बताया थिा कि किसी ब्राह्मण से यह कथा स्त्रियो को सुनना चाहिए। भाद्रपदशुक्ल पंचमी ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषियों का विधि-विधान से पूजा करे तो उसके समस्त कष्टों का निवारण हो सकता है। ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान कर विशिष्ट वनस्पति अपामार्ग की दातुन से दंत्धावन करने के बाद सप्त ऋषियों का पूजन पाठ करना चाहिए।
यह है ऋषि पंचमी पूजा का मुर्हूत
गौड़ के अनुसार सुबह 11.०5 मिनट से दोपहर 1. 36 मिनट तक ऋषि पंचमी तिथि प्रारम्भ. हो रही है तो रात 1.54 मिनट से 3 सितंबर तक रहेगी। और ४ सितंबर को सुबह ११.२७ मिनिट पर तिथि समाप्त होगी।
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