शिवजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बात
एस्ट्रोलॉजर रविशराय गौड़ शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सी चीज़ चढाने से मिलता है क्या फल। किसी भी देवी-देवता का पूजन करते समय उनको अनेक चीज अर्पित की जाती है। भगवन को अर्पित की जाने वाली हर चीज़ का फल अलग होता है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है की भगवन शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग वस्तुओं का क्या फल होता है।
शिवपुराण के अनुसार जानिए कौन सा अनाज भगवानको चढ़ाने से क्या फल मिलता है
भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है। तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है। जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है। गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है। यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करना चाहिए। ज्वर बुखार होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है। नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं। सुगंधित तेल इत्र से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है। शिवलिंग पर ईख, गन्ना का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है। शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने सेटीबीद्ध रोग में आराम मिलता है। शिव पुराण के अनुसार लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है। अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है। शमी पत्रों पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है। बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है। जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं। हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है। धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं। जो कुल का नाम रोशन करता है। लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है। दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।
पूजा विधि में अपनाओंगे यह उपाए तो दूर होंगे कष्ट
भगवान शिव को देवों के देव महादेव के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शंकर जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक है। इस दिन विधि- विधान से पूजा करने पर भगवान शंकर का आर्शीवाद मिलता है। प्रथम सोमवार के दिन अगर आप कुछ उपायों को अपनाते हैं तो आपके जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहेगी। अगर आप इन उपायों के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। अगर एक लोटा जल भी शिवलिंग पर चढ़ा दें तब भी शिव जी आपपर असीम कृपा करेंगे। भगवान शिव पर जल या दूध का अभिषेक करने से वो अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं। रुद्राभिषेक करने वाले जीव के भगवान शंकर सब संकट हर उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय से कॅरियर में सफलताएं हासिल न हो रही हो, तो इस उपाय को करने से उसकी भी कामना पूर्ण हो जाती है। कुलदेवी या देवता के रुष्ट हो जाने से परिवार का कोई भी व्यक्ति तरक्की हासिल नहीं कर पाता है। ऐसे में यदि आपको करियर संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, तो शिव पूजन आपके लिए बहुत लाभकारी है। चावल, दूध, चांदी दान करें। ऐसा करने से शिव के प्रसन्न होने के साथ ही चंद्रमा भी मजबूत होता है। इससे जीवन में तरक्की की राहें लगातार खुलती चली जाती है। इसी तरह चंद्रमा के कष्ट देने पर चांदी को नदी में बहाने से सारे कष्ट या समस्याएं बह जाती हैं। जिसकी कुंडली में चंद्रमा नीच है वह व्यक्ति सफेद कपड़े पहने और चंदन का सफेद तिलक लगाए। इससे जल्द ही कॅरियर में सफलता हासिल होगी। भोग लगाकर खीर प्रसाद खाना भी शुभ माना जाता है।
दो मोती या चांदी के दो बराबर के टुकड़ों में से एक टुकड़े को पानी में बहा दें। इसके बहाने से सोची हुई मुराद पूरी हो जाती है। दूसरे मोती या टुकड़े को जिंदगीभर अपने पास रखें। चांदी की अंगूठी और सफेद मोती को धारण करने से भी लाभ मिलता है। चंद्रमा कष्ट दे रहा हो तो दूध ओर गंगा जल से अभिषेक करे लाभ होगा। सोमवार के दिन शिव को 11कम से कम बेल पत्र अर्पित करें। और प्रसाद के रूप में मिष्ठान्न चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय जाप करें। शिवलिंग पर नियमित मिश्री मिला हुआ जल अर्पित करना और भी शुभकारक माना जाता है शिव गौरी की पूजा करनी चाहिए। शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। गंगाजल नर्मदा जल या पवित्र तीर्थ जल से भगवान महादेव का अभिषेक करना एवं पंचामृत अभिषेक एवं बिल पत्र चढ़ाना अत्यंत लाभप्रद रहेगा।
अनेक मान्यताओं के कारण शिवभक्ति का है महत्व
एस्ट्रोलॉजर रविशराय गौड़ बताते है कि अनेक प्राचीन व धार्मिक कथाओं के कारण सावन व सोमवार को शिवभक्ति का विशेष महत्व है। सावन माह भगवान शिव का अति प्रिय माह है। इसे लेकर धार्मिक मान्यता है कि दक्ष पुत्री माता सति ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जिया। इसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पुरे श्रावण महीने में कठोरतप किय। और उनकी मनोकामना पूरी हुई। शिव का सावन का महीना इसलिए भी प्रिय है। भगवान के इस प्रिय माह में शिवभक्ति कर श्रद्धालु मनोकामना के लिए आराधना करते है। इसके अलावा सावन माह में समुद्र मंथन हुआ था। इसमें निकले विष को भगवान ने पीया था। तो सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था। इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं। वर्षा ऋतु के चौमासा में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस वक्त पूरी श्रृष्टि भगवान शिव के आधीन हो जाती हैं।् ऐसे में इस समय भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त विशेष तौर पर आराधना करते है। साथ ही स्कंद पुराण की कथा के अनुसार भी शिव को यह माह अतिप्रिय है