मंदसौर

कही मांगलिक भवन में तो कही पेड़ के नीचे लग रही स्कूल की कक्षाएं

कही मांगलिक भवन में तो कही पेड़ के नीचे लग रही स्कूल की कक्षाएं

मंदसौरNov 29, 2022 / 10:34 am

Nilesh Trivedi

Gujarat: गांधीनगर एवं नलिया में 11 डिग्री के नीचे तक लुढक़ा तापमान


लिंबावास/टकरावद.
मल्हारगढ़ विकासखंड क्षेत्र के कई गांवों में आज भी विद्यार्थियों को कही पेड़ के नीचे तो कही अन्य जगहों पर पढ़ाई करना पड़ रही है। तहसील के गांवो के शासकीय स्कूल के बच्चों को स्कूल के बाहर पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है तो कही मांगलिक भवन में तो कही शिक्षको को सहयोग से बने भवन पर त्रिपाल डालकर बैठना पड रहा है। ऐसे में विद्यार्थियों को भी पढ़ाई करने में परेशान होना पड़ता है तो स्कूली स्टॉफ को भी दिक्कत होती है।

पेड़ के निचे लगती पाठशाला
प्रदेश सरकार ने विद्यालयो का उन्नयन तो जीरो बजट में कर दिया लेकिन आजतक विद्यालय भवनों की सौगात नहीं दी है। मल्हारगढ़ तहसील के टकरावद में वर्ष 2007 में माध्यमिक विद्यालय का हाईस्कूल व 2018 में हाई से हायर सेकंडरी में उन्ननयन हुआ था। यहां 341 छात्र भी अध्यनरत पढ़ाई कर रहे है लेकिन भवन के नाम पर केवल 3 अतिरिक्त कक्ष है। जिनके सामने भी बड़ी विद्युत लाइन निकल रही है। भवन के अभाव में मजबूरी में बच्चों को कई वर्षो से पेड़ के नीचे बेठकर पढ़ाई करना पड़ रही है। इस वर्ष विद्यालय से कुछ ही दुरी पर मांगलिक भवन है। जहा अनुनय विनय कर बच्चों को बैठाकर पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन जब कोई मांगलिक भवन में कार्यक्रम होते हे तो बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ता है तो वहीं बिल्लोद हायर सेकंडरी विद्यालय में 200 विद्यार्थियो है। उनके बैठने के लिए शिक्षको ने 10-10 हजार रुपए एकत्र किए ओर 60 हजार शाला विकास, 20 हजार गतिविधि व शेष डेढ़ लाख का उधार सामान लाकर एक फायबर ईटो का 20-45 का ***** बनाया। इस पर त्रिपाल डालकर विद्यार्थियो को पढ़ाने के लिए बिठा रखा है। वहीं हायर सेकंडरी हिंगोरिया बड़ा में भी विद्यालय भवन नहीं है, लेकिन पास में मांगलिक भवन होने से वहा छात्रों को बिठाकर पढ़ाया जाता है। गांवों में स्कूलों पर जाकर देखा तो शिक्षा की बेहतरी के लिए सरकार के दावों की हकीकत उजागर हो रही है।

हायर सेकंडरी स्कूलों में कही भी प्रयोगशाला नहीं
विज्ञान को बेहतर ढंग से समझने के लिए प्रयोगशाला जरूरी है, लेकिन भवन नहीं होने से प्रयोगशाला भी नहीं है। केवल टेबल पर कुछ उपकरण रखकर सांकेतिक बताकर इतिश्री करना पड़ती है। जबकि भौतिक के नियमों को समझने के लिए छात्र को आधुनिक विज्ञान प्रयोगशालाओ में विभिन्न उपकरणों के साथ विशिष्ट प्रायोगिक प्रयोग करने की आवश्यकता होती है।

बच्चों ने की समस्या बया लेकिन जबाबदारो को नहीं आई दया
स्कूल में बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से आसपास क्षेत्र के अधिकांश बच्चों बूढ़ा व अन्य जगह पढ़ाई करने जाते है। स्कूल भवन की समस्या को लेकर पिछले साल नवंबर में जब वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा टकरावद अस्पताल का लोकार्पण करने आए थे तब गिरते पानी में भी मंत्री के काफिले को रुकवाकर बच्चों ने समस्या बताई लेकिन अधिकारी हो या जनप्रतिनिधि सभी ने केवल आश्वासन दिए। विद्यालय भवन की सौगात आज तक नहीं दी।

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