ओपीडी में ही किया तंत्र-मंत्र
राजस्थान से आए इस परिवार ने जिला अस्पताल की ओपीडी में काफी देर तक पूजा-पाठ भी की। हालांकि थोड़ी देर बाद अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अस्पताल से बाहर जाने का कहा। बड़ी मुश्किल से वे अस्पताल के बाहर जा सके, तब तक उनका तंत्र-मंत्र पूरा हो चुका था।
9 साल पहले हो गई थी मौत
राजस्थान के सत्तूर गांव के अमर लाल की नौ साल पहले मंदसौर के जिला अस्पताल में मौत हो गई थी। उसके परिजन शुक्रवार को सुबह उसी शख्स की आत्मा लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे। अमरलाल के परिजनों का कहना है कि उसकी मौत के बाद से आत्म यहीं-कहीं हैं। जिसे हम लेने आए हैं। अन्यथा वो भटकती रहेगी।
इसके पहले भी हुआ है ऐसा
राजस्थान के कुछ रुढ़िवादी और अंधविश्वासी लोगों की मान्यता रहती है कि जिस व्यक्ति की मौत जहां होती है उसकी आत्मा वहीं भटकती रहती है। चित्तौड़गढ़ के ही एक परिवार भी पिछले साल फरवरी में यहां आया था। उस समय महू-नीमच राजमार्ग पर नयाखेड़ा के पास सड़क दुर्घटना में एक शख्स घायल हो गया था। बाद में जिला अस्पताल में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया था। इसके बाद उसके परिवार के करीब एक दर्जन लोग अस्पताल पहुंच गए थे और तंत्र-मंत्र करने के बाद ही अग्नि की ज्योति के साथ घर रवाना हुए। उनका मानना है कि यहां से आत्मा ले जाकर हम उसकी शांति कराते हैं, अन्यथा आत्मा भटकती रहती है, जो किसी को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
-राजस्थान के कोटा, बूंदी के हिंडौली के रहने वाले भी ऐसा ही कर चुके हैं। 31 अक्टूब 2017 को हिंडोली के छेलाराम की मौत कोटा के अस्पताल में हो गई थी। उसके बाद अस्पताल के गेट पर आत्मा की मुक्ति के लिए अनुष्ठान किए गए थे।
-इसके बाद इसी अस्पताल में एक और मामला सामने आया था, जिसमें अस्पताल के गलियारे में एक और परिवार ने युवती की भटकती आत्मा को शांति दिलाने के लिए तंत्रमंत्र किया था। बताया जाता है कि सावर निवासी मीरा नाम की यह युवती 4 साल पहले इसी अस्पताल में मृत हो गई थी।