अध्यक्ष के बाद अब सीएमओ की कुर्सी पर भी दो सीएमओ की कसरत जारी है। इसमें मिश्रा स्टे लेकर मंदसौर आ गए लेकिन प्रधान ने भी ज्वाइन कर लिया था। ऐसे में नपा यह कह रहे है कि एक शासन के आदेश तो दूसरा हाईकोर्ट से स्टे लेकर आए दोनों सीएमओ है। ऐसे में निर्णय शासन को करना है। मिश्रा के स्टे वाले मामले में हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई जिसमें मिश्रा का स्टे ५ नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट के स्टे के बाद भी मिश्रा व प्रधान में से कोई सीएमओ रहेगा। इस पर अब तक निर्णय नहीं हो पाया और नपा भी टालमटोल कर रही है, लेकिन इस पर निर्णय नहीं कर रही है। इसी कारण मौजूद दोनों सीएमओ में कुर्सी पर बने रहने के लिए जोरआजमाईश जारी है।
एक कुर्सी के लिए जारी है दो सीएमओ की कसरत
नपा में सीएमओ की कुर्सी के लिए दो सीएमओ की कसरत का दौर चल रहा है। सीएमओ आरपी मिश्रा का ट्रांसफर हुआ और २२ अगस्त को सविताप्रधान ने ज्वाइंन किया। इसके बाद मिश्रा हाईकोर्ट की डबल बेंच से ट्रांसफार आदेश पर स्टे ले आए। और मंदसौर आकर उपस्थिति की सूचना नपा सहित सभी बैंकों को भेज दी और नपा भी पहुंच गए। वर्तमान में नपा में दो सीएमओ है और दोनों में किसी एक पर निर्णय नहीं हो पाया।
नपाध्यक्ष ने पहले कानून से अभिमत मांगा था, उसी स्पष्टता नहीं आई तो फिर शासन से अभिमत मांगा। अब यदि गुरुवार तक मिश्रा को चार्ज नहीं दिया तो कोर्ट की अवमानना होगी और मिश्रा ने हाईकोर्ट में अवमानना की याचिका लगाने की बात कही है। दोनों सीएमओ की जारी कसरत के बीच नपा के काम ठप हो गए है।
अध्यक्ष के उपचुनाव को अवमानना की लगाई याचिका
नगर पालिका में अध्यक्ष के उपचुनाव को लेकर भाजपा पार्षद राम कोटवानी ने चुनाव प्रक्रिया नहीं कराने को लेकर हाईकोर्ट में अवमानना की याचिका लगाई है। कोटवानी ने बताया कि नपाध्यक्ष के उपचुनाव को याचिका लगाई इसमें राज्य शासन के अधिकारी, राज्य निर्वाचन के अधिकारी, आयुक्त नगरीय प्रशासन, कलेक्टर एवं सीएमओ को पार्टी बनाया गया है।
इसमें बताया कि 25 जुलाई के आदेशानुसार 4 सप्ताह के भीतर नगर पालिका परिषद मंदसौर के अध्यक्ष निर्वाचन की कार्रवाई प्रारंभ हो जाना थी लेकिन अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की। और मुझे कोई जवाब भी नहीं भेजा। यह कृत्य न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है। ऐसे में याचिका लगाते हुए कोर्ट के आदेश का पालन करवाते हुए उपचुनाव करवाने की बात कही गई है। पूर्व में कोटवानी ने हाईकोर्ट में नपाध्यक्ष की खाली पड़ी कुर्सी को लेकर याचिका लगाई थी। इसमें नपा एक्ट का उल्लघंन की बात कही थी।
इसमें नपा एक्ट के अनुसार निर्वाचित पार्षद में से किसी को मनोनीत करने और रिक्त कुर्सी के बाद भी उपचुनाव नहीं कराने की बात कही थी। शासन ने नपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति तो कर दी लेकिन नपाध्यक्ष के निधन होने के बाद उपचुनाव को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है।
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जरुरी होगा तो लगाऊंगा
हाईकोर्ट की डबल बेंच का स्टे है। इसका भी पालन नहीं कर रहे है। सुनवाई हुई है। इसमें ५ नवंबर तक स्टे कर दिया गया है। मैं यहां से रिलीव भी नहीं हुआ। सीधे-सीधे हाईकोर्ट की अवमानना है। और जरुरी होगा तो हाईकोर्ट में अवमानना का मामला भी लगाऊंगा।-आरपी मिश्रा, सीएमओ
अभी जवाब नहीं गया है
अगली सुनवाई की तारीख लगी है। अभी हमारी और से जवाब नहीं गया है। -सविताप्रधान गौड़, सीएमओ