अनमोल विरासतों का नायाब अंचल भानपुरा
अनमोल विरासतों का नायाब अंचल भानपुरा
मंदसौर
Published: April 18, 2022 10:53:00 am
मंदसौर
जिले के भानपुरा में विगत 20-25 वर्षों में हुई नवीन शोध से पता चला कि भानपुरा क्षेत्र में ऐसी विरासत है जो क्षेत्र को विश्व में अलग पहचान दिलाती है। ऐसे में विरासत और धरोहर नगर व क्षेत्र की पहचान बन गई है। विंध्यान की हरित उपत्यकाओं से घिरा यह अंचल अपने पाश में चंबल व रेवा की घाटियों में आद्य मानव के बौद्धिक व कलात्मक विकास के प्रमाणों को समेटे हुए है। मानव के बिद्धिकव कलात्मक विकास के प्रमाण एक ही जगह देखना हो तो भानपुरा में यह दिखाई देते है। इतिहासकार डॉ प्रद्युम्य भट्ट कहते है कि भानपुरा का गौरव विश्व पटल पर क्षेत्र में मौजूद धरोहरों ने बढ़ाया है।
१५ से अधिक स्थानों पर खोजे गए कप माक्र्स
भानपुरा के प्लेटो पर 15 से अधिक स्थानों पर विश्व के प्राचीनतम कप माक्र्स खोजे गए है। हाल ही के दिनों में इस दरकी चट्टान गुफा ने विश्व समुदाय का ध्यान आकृष्ट किया है उसमें 450 से अधिक कप माक्र्स मिले है। जो आस्ट्रेलियन शैलचित्र विज्ञानी डॉ रॉबर्ट बेडनरेक व रॉक आर्ट सोसायटी के डॉ गिरिराज कुमार के अनुसार साठ हजार साल पहले से लेकर कोई 4 लाख साल पहले मानव ने इन्हें बनाया है। यह आज विश्व मे सबसे पुरानी मानव गतिविधि का प्रमाण है। जो भानपुरा के पास पहाड़ी पर मौजूद है। अर्ली इंडियन पेट्रोग्लिफ प्रोजेक्ट के तहत हुए शोध से प्रमाणित हुआ है यह स्थल विश्व कला प्रमियों के लिए तीर्थ से कम नही है। यहाँ आस्ट्रेलिया, फ्रांस, न्यूजीलैंड आदि से विज्ञानिक अध्ययन के लिए आ चुके है।
२० हजार साल पुराने गेरु रंगों में है चित्र
इसी प्रकार विश्व की सबसे लंबी शैलचित्र वीथिका चतुर्भुजनाथ नाला है। जहां 20 हजार साल तक पुराने गेरू रंगों के चित्र है। यह गैलरी विश्व मे सर्वाधिक संपन्न रॉक आर्टगेलरी मानी गई है। डॉ नारायण व्यास व डॉ गिरिराज कुमार का मानना है कि मानव के सांस्कृतिक जीवन यात्रा की यह प्रामाणिक गाथा है। जो हजारो वर्षो की विकास यात्रा को दर्शा रही है। इसी विंध्यान प्लेटो पर 30 लाख साल पूर्व के मानव पदचिंहों की खोज भी हुई है। कालिदास जो मेघदूत में वर्णित देवगिरी इस अंचल में मोजूद है।
न्यूयॉर्क में जब प्रतिमाओं की हुई प्रशंसा
मालवांचल का गौरव दुर्ग हिंगलाजगढ़ व यहां की प्रतिमाओं ने विश्व कला महोत्सव न्यूयॉर्क में प्रशंसा बटोरी थी। वह कलात्मक अदभुत सौंदर्य का प्रतिनान नंदी भानपुरा के संग्रहालय में शोभित है। एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील गांधीसागर जलाशय इको टूरिस्म को बढ़ावा देने वाली प्राकृतिक संपदा, वन्य जीवन, प्रपातों की श्रंखला, प्रवासी पक्षियों की रंगीन जमातें बहुत कुछ है जो प्रगमानव से लेकर आज तक हुए सांस्कृतिक विकास के कला प्रतिमान व विरासतें यहां पग पग पर बिखरी है। निमथुर एकेथुली के कलात्मक देवालय केथुली के मंदिर को दशपुर का खजुराहो तक कह जाता है। अंचल के कलात्मक प्राचीन देवालय व प्रतिमाएं हमे मंत्र मुग्ध कर देती है। आज जरूरत है इस अंचल को इसकी महान विरासतों के संरक्षण के लिए यहां ग्लोबल हेरिटेज म्यूजियम, वैश्विक कला संग्रहालय बनाया जाना चाहिए। फ्रांस के विद्वान जीन क्लॉटटी ने अपनी टिप्पणी में जोर देकर लिखा था कि भानपुरा में वो नायाब विरासतें है जो दुनिया मे किसी एक जगह पर इतनी विविधता के साथ नही है।

अनमोल विरासतों का नायाब अंचल भानपुरा
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