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मंदसौर

Dharma Karma: तप के बिना मोक्ष नही, तप ही मोक्ष प्राप्त करने की सीढी है

तप के बिना मोक्ष नही, तप ही मोक्ष प्राप्त करने की सीढी है

मंदसौरSep 04, 2019 / 12:12 pm

Nilesh Trivedi

Patri moksha amavasya

Patri moksha amavasya

मंदसौर.
Dharma Karma: प्रर्यूषण पर्व हमें अपने जीवन को तप तपस्या की ओर प्रवृत्त होने की प्रेरणा देता है। तप तपस्या करके हम अपने जीवन को मोक्ष मार्ग की ओर प्रवृत्त कर सकते है। जैन धर्म में तप को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया गया है। जैन आगम अंतगढ दशान सुत्र मेें 90 पुण्यशाली जीवों की गाथाएं बताई गई है। इन 90 में से 10 गाथाए राजा क्षणिक की पत्नियों की तप तपस्या को बताने वाली है। राजा क्षणिक व राजा चेतक के महायुद्ध में जब क्षणिक के 10 पुत्र मृत्यु को प्राप्त हुए तो उनकी माताओं को गहरा पुत्र वियोग हुआ लेकिन उन माताओं ने पुत्र मोह में जीवन खराब करने की बजाय प्रभु महावीर की प्रेरणा से प्रथम जैन साध्वी चंदनबाला से दिक्षा ली तथा अपने जीवन में अलग अलग तप तपस्या की। जैन शास्त्र अंतगढ दशानसुत्र के बल पर इन रानीयों ने मोक्ष गति पाइ। यह बात साध्वी डॉ सुभाषा ने जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन शास्त्री कॉलोनी में सवत्सरी पर्व के दौरान आयोजित धर्मसभा में कही।

धर्मसभा में कहा कि अंतगढ दशानसुत्र के आठवे वर्ग मेें राजा क्षणिक की 10 पत्नियों ने अपने प्रवृत्त किया। इसका विस्तार से वर्णन हे। इन 10 रानियों के पुत्र राजा कोणिक द्वारा कोणिक के प्रति बैर रखने की बजाय उसके प्रति क्षमापना का भाव रखा और संयम लेकर कठोर तप साधना की। इन रानीयों के जीवन में स्त्रियों प्रेरणा ले तथा अपने जीवन में बैर भाव रखने की बजाय क्षमापना का भाव अपनाते हुए तप तपस्या में आगे बढे और जीवन को पूण्यकर्मो में लगाए।

क्षमा करने वाला सुख पाता है
साध्वी आकाशा ने कहा कि जो दूसरों की गलतियों को भुल नही पाते है तथा सदैव ही उनसे बदला लेने की भावना मन में पाल कर रखते है वे जीवन में कभी भी सुख नहीं पाते है क्योकि बैर की भावना केवल दुख देती है यदि हम क्षमा की भावना मन में लाते है तो हमारे मन को अवश्य ही सुख मिलता है। साध्वी सुभाषा ने कहा कि तुलसीदास ने उस जीभ को धन्य कहा कि है जो प्रभु का नाम लेती है यदि हम अपनी जिव्हा से 24 तीर्थ करो, नवकार महामंत्र का जाप करते हैैै। प्रभूु की स्तुतिया गातें है तो हमारी जिरहा की सार्थकता सिद्ध होती है। कटु वचन बोलने व अनावश्यक बाते करने वाली जिव्हा का होना बेकार है।

तपस्वियों का हुआ बहुमान
धर्मसभा में 8 उपवास व उससे अधिक उपवास करने वाले तपस्वियों का श्रीसंघ की ओर से माला पहनाकर प्रशस्त्रि पत्र उपहार भेटकर बहुमान किया गया। धर्मसभा में साध्वी डॉ सुभाषा ने अंतगढ दशान सुत्र से संबंधित 15 प्रश्न श्रावक श्राविकाओं से पूछे सही उत्तर देने वालो को चत्तरबाई उकावत की स्मृति में अशोक उकावत परिवार ने प्रभावना स्वरूप राशि भेट की।

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