जिले की दो शिक्षिकाओं ने आत्मशक्ति से बदल दी स्कूलों की तस्वीर
मंदसौरPublished: Sep 06, 2019 11:36:37 am
जिले की दो शिक्षिकाओं ने आत्मशक्ति से बदल दी स्कूलों की तस्वीर
मंदसौर.
लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती, और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इस मुहावरे को जिले की दो शिक्षिकाओं ने चरितार्थ कर दिया। जी हां हम बात कर रहे है माध्यमिक विद्यालय गरनाई और माध्यमिक विद्यालच चंद्रपुरा की। यहां पर दोनों शिक्षिकाओं ने आत्मशक्ति के बल पर बेहतर कार्य किए है।
स्वयं की निधि से बदल दी स्कूल की तस्वीर
शिक्षिका ललिता सिसौदिया ने २६ अक्टूबर २०१४ को शासकीय माध्यमिक विद्यालय गरनाई मेंं ज्वाइन किया। यहां पर आकर देखा कि बच्चे गणवेश में नहीं आ रहे है। अनुशासन नहीं है। इसके अलावा स्कूल के दरवाजे, खिड़कियां टूटी हुई है। शौचालय की व्यवस्था भी अस्त व्यस्त है। शाला की दिवारों से रेत निकल रही है। छत से पानी टपक रहा है। बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है। शाला परिसर में गंदगी फैली हुई है। आवारा मवेशियों का जमावड़ा परिसर में रहता है। और शराबियों द्वारा शराब पीना और बॉटले परिसर में फेंक देते थे। स्कूल में ना पंखे है और ना ही विद्यालय का रंगरोगन है। बच्चों के पानी की व्यवस्था नहीं है। यह सब देख शिक्षिका ललिता सिसौदिया ने स्कूल को बेहतर स्कूल में परिवर्तित करने का निश्चय किया। और स्वयं की गाड़ी कमाई के तीन लाख रूपए स्कूल में लगाकर शाला की दीवारों का प्लास्टर, दरवाजे खिड़कियों की मरम्मत करवाई, शाला में लाइट फिटिंग, शाला के समस्त कमरों में पंखे, शौचालय की व्यवस्था, मध्यान भोजन कक्ष की व्यवस्था एवं शाला में बेहतरीन रंग रोगन करवा कर उसमें पेंटिंग करवाई, फर्नीचर भी बनवाया एवं शाला में पेयजल की व्यवस्था करवाई तथा बाउंड्री वाल भी बनवाई। इसके अलावा मुख्य द्वारा पर गेट बनवाया। शिक्षिका सिसौदिया ने स्वयं के वेतन से दो अतिथि शिक्षक रखे और बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा मिले। इसके लिए काम किया। शाला में पौधारोपण करवाया और ट्री गार्ड लगवाएं। जहां पर पहले विद्यार्थियों की संख्या कम थी अब शिक्षिका की मेहनत से वहां पर ५० हो गई। सबसे बड़ी बात ९० प्रतिशत बच्चे दक्षता में पास हुए। शिक्षक दिवस के दिन यानि की आज सिसौदिया को वाल ऑफ फेम से सम्मानित किया जाएगा। और ६ तारीख को राज्यपाल पुरुस्कार दिया जाएगा। वहीं २६ सितबंर को ग्रीन मेंटर्स द्वारा न्यूयार्क में सम्मानित किया जाएगा। शिक्षिक सिसौदिया शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर १४ बार सम्मानित हो चुकी है।
स्वयं की निधि से करवाया स्कूलो में प्रवेश
माध्यमिक विद्यालय की प्रभारी प्राचार्य ज्यौति चौहान ने स्कूल में बच्चों की संख्या को लेकर क्षेत्र में घर-घर जाना शुरु किया। और स्कूल की छात्र संख्या २५ से ४३ कर दी। कई विद्यार्थियों का निजी विद्यालय के बजाए सरकारी विद्यालय में प्रवेश करवाया। स्कूल में पानी की व्यवस्था नहीं थी। तो नगर पालिका अधिकारियों से इसकी शिकायत की और जब तक हार नहीं मानी जब तक की विद्यालय में हेडपंप नहीं लगवाया। इसके अलावा करीब १० से १२ छात्राओं का आठवी के बाद आर्थिक तंगी होने के कारण प्रवेश के लिए रूपए नहीं थे तो शिक्षिका ने स्वयं उनकी फीस भरकर उनका स्कूलों में प्रवेश करवाया। स्कूल में स्वयं की निधि से स्टेशनरी वितरीत भी की।