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उज्जवला भी नहीं दिला पा रही गरीब वर्ग की महिलाओं को धुएं से मुक्ति

locationमंदसौरPublished: Jun 17, 2019 11:35:37 am

Submitted by:

Nilesh Trivedi

उज्जवला भी नहीं दिला पा रही गरीब वर्ग की महिलाओं को धुएं से मुक्ति

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उज्जवला भी नहीं दिला पा रही गरीब वर्ग की महिलाओं को धुएं से मुक्ति

मंदसौर.
उज्जवला योजना भी गरीब परिवारों को धुएं से मुक्ति नहीं दिला पा रही है। उज्जवला योजना का लाभ ले चुके हितग्राहियों में जिले में ५० प्रतिशत हितग्राही ऐसे है जो गैस कनेक्शन मिलने के बाद भी चूल्हे पर ही खाना मजबुरी में बना रहे है। दरअसल, उज्जवला में सिलेंडर तो मिल गया, लेकिन महंगाई के कारण वह गैस सिलेंडर को फिर से भरवा नहीं पा रहे है। इसी कारण गैस चूल्हें को साईड कर उन्हें चूल्हें पर ही खाना बनाना पड़ रहा है। ऐसे में उज्जवला का लाभ ले चुके हितग्राही भले ही सरकारी विभाग के आंकड़ों में लाभार्थी है, लेकिन असल में अब भी उनके घरों में चूल्हे पर धूएं के बीच ही खाना बन रहा है।

63 हजार को दिए कनेक्शन फिर भी 11 हजार से अधिक चूल्हे पर बना रहे खाना
उज्जवला योजना के तहत जिले में करीब ६३ हजार हितग्राहियों को कनेक्शन दिए गए। लेकिन ११ हजार से अधिक हितग्राही ऐसे है जो कनेक्शन मिलने के बाद भी चूल्हे पर खाना बना रहे है। कारण भी यह कि सिलेंडर तो है लेकिन महंगाई के कारण वह सिलेंडर भरवा नहीं पा रहे है। एक सिलेंडर लेने के बाद दूसरा लेने अधिक दाम होने के कारण रुचि नहीं ले रहे है। रसोई गैस का सिलेंडर मिलने के बाद भी हितग्राहियों के यहां पर चूल्हा और धूएं का दौर खत्म नहीं हुआ है। ग्रामीण अंचल में ऐसे हालात अधिक जगहों पर है। कुछ हितग्राहियों ने एक या दो तक सिलेंडर भरवाने की हिम्मत दिखाई लेकिन बाद में वह भी इससे दूर हो गए। अधिक दाम होने के कारण वह सिलेंडर नहीं भरवा रहे है।

ऑनलाईन भी बना फजीहत
एक तो अधिक दाम दूसरा ऑनलाईन बुकिंग भी इनके लिए फजीहत बना हुआ है। ऑनलाईन में बुकिंग में दिक्कत के कारण वह इससे दूरी बना रहे है। शहरी क्षेत्र के इस योजना के हितग्राही भले ही कुछ मात्रा में सिलेंडर ले रहे है, लेकिन गा्रमीण क्षेत्र में सिलेंडर बहुत कम हितग्राही ले रहे है। कई घरों में आज भी लकड़ी जलाकर चूल्हें पर खाना बनाया जा रहा है।

३८ से ४० एजेंसियों ने बांटै ६३ हजार कनेक्शन
योजना की शुरुआत में जिले के हितग्राहियों ने गैस कनेक्सन लेने में उत्साह दिखाया था और जिले में 38 से 40 एजेसियों ने योजना के माध्यम से 62 हजार 540 लोगों को नए गैस कनेक्सन दिए थे। शुरू में रसोई गैस के कनेक्सन लेने मे तो सभी पात्र हितग्राहियों ने रुचि दिखाई तो इसकी वाहवाही भी खूब हुई, लेकिन जब पहले वाला सिलेंडर का उपयोग पूरा कर लिया तो उसके बाद उसे बदलने मे आधे से अधिक हितग्राहियों ने इससे दूरी बना ली। योजना से जिले के हजारों घरों में गैस पहुंचा तो सही लेकिन अधिक दिनों तक यह नहीं टिक पाया और फिर गरीब के घर की रसोई चूल्हें पर निर्भर हो गई।

दाम अधिक इसलिए नहीं भरवा पा रहे
गांव गोपालपूरा निवासी गीताबाई ने कहा कि सिलेंडर का उपयोग कम ही करते है। चूल्हे पर ही रसोई बनाते है। सिलेंडर के दाम हर समय ऊपर-नीचे होते रहते है। अधिक दाम के कारण सिलेंडर लेने की बजाय चूल्हे पर ही रसोई बनाते है। इसी तरह लिंबावास के बगदुदास ने कहा हम इस भ्रम में थे कि शासन द्वारा सिलेंडर योजना में दिया तो अब सिलेंडर आगे भी कम शुल्क या मुफ्त में मिलेगा। लेकिन दूसरा सिलेंडर लेने गए तो पता चला कि गैस सिलैंडर के पैसे लगेंगे। और दाम भी अधिक इसलिए सिलेंडर नहीं ले रहे है। और चूल्हे पर ही खाना बन रहा है।
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