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किसान आंदोलन में जहां हुआ था गोलीकांडी उसी जगह फिर 18 को हुंकार भरेंगे किसान

locationमंदसौरPublished: Oct 14, 2019 08:37:57 pm

Submitted by:

Nilesh Trivedi

किसान आंदोलन में जहां हुआ था गोलीकांडी उसी जगह फिर 18 को हुंकार भरेंगे किसान

किसान आंदोलन में जहां हुआ था गोलीकांडी उसी जगह फिर 18 को हुंकार भरेंगे किसान

किसान आंदोलन में जहां हुआ था गोलीकांडी उसी जगह फिर 18 को हुंकार भरेंगे किसान

मंदसौर.
नई अफीम नीति के विरोध में अफीम किसान संगठन ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। औसत के बजाए मार्फिन से पट्टे दिए जाने के अलावा रकबा कम करने और अफीम के कम दामों के चलते अफीम काश्तकार नीति में संशोधन की मांग को लेकर सड़को पर उतरेंगे। अफीम किसान संगठन के पदाधिकारियों ने रविवार को इसे लेकर पत्रकार वार्ता कर इस बार की नीति को इतिहास की सबसे घटिया नीति बताया है। इसके विरोध में १८ अक्टूबर को जिले के पिपलियामंडी बही पाश्र्वनाथ पर १० हजार अफीम काश्तकारों के साथ धरना आंदोलन करते हुए प्रधानमंत्री व वित्तमंत्री के नाम ज्ञापन देकर संशोधन की मांग करेंगे और नहीं होने पर अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में नीमच अफीम कार्यालय का घेराव करने की चेतावनी भी दी है। किसान नेता अमृतराम पाटीदार ने अफीम नीति को लेकर किसानों की मांगों को प्रेसवार्ता के दौरान रखा और आंदोलन की बात कही।

इस बार नीति में यह हुए है बदलाव
इस बार की अफीम नीति में केंद्र सरकार ने आंशिक परिवर्तन किया है। नई नीति में पट्टे का आधार मार्फिन तय किया है। तो वहीं अफीम पट्टों के लिए ५,६,१० और १२ ऑरी की चार श्रेणी निर्धारित की गई है। अफीम किसानों को १ हजार से लेकर १८०० रुपए तक प्रतिकिलो का दाम दिया जाता है।

पूरानी नीति में इस आधार पर मिलते थे पट्टें
पिछले दो सालों से मार्फिन को आधार बनाया जा रहा है। इसके पहले कई सालों से औसत आधार पर ही पट्टे दिए जा रहे है। पिछले साल मार्फिन और औसत दोनों के आधार पर पट्टे मिले थे। औसत आधार पर पट्टे मिलने के कारण किसानों को अधिक पट्टे मिल जाते है। तो १० ऑरी के पट्टे सभी किसानों को दिए गए थे।

नीति बदलने से यह पड़ेगा प्रभाव
नीति में सबसे बड़ा बदलाव औसत के बजाए मार्फिन करने से किसानों में आक्रोश है। मार्फिन के आधार पर पट्टे मिलने केे कारण इस बार ७ हजार किसानों के पट्टे कटें है।और यहीं रहा तो अगले साल और किसानों के पट्टें कट जाएंगे। पहले १० ऑरी के पट्टे मिल रहे थे। इस बार चार श्रेणी में मिल रहे है। इससे भी किसानों को नुकसान है। तो अफीम का १८०० रुपए प्रतिकिलो तक दिया जाता है। अफीम के दाम भी बढ़ाने की किसानों की मांग है। प्राकृतिक आपदा में अफीम की खेती में किसानों को राहत नहीं मिलती। इससे अफीम उत्पादन प्रभावित होता है। नामांतरण में पौते को रक्त संंबंध से दूर रखना, नाम सरनेम जैसी व्यवहारिक कठिनाईयों को भी मान्य नहीं करना अफीम किसानों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है।
अफीम काश्तकारों की यह है मांग
अमृतराम पाटीदार, खूबचंद शर्मा सहित अन्य ने बताया कि अफीम काश्तकार नई नीति जारी होने के बाद संशोधन करते हुए मार्फिन की अनिवार्यता को समाप्त करने और औसत आधार पर अफीम खेती का लाइसेंस देने के साथ ही रकबा जो बहुत कम कया है उसे १० ऑरी तक का यथावत रखे जाने और लागत मूल्य के आधार पर अफीम का १० हजार रुपए प्रतिकिलो दाम तय करने और नीति निर्धारण में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही प्राकृतिक आपदा शीतलहर, ओलावृष्टि और अतिवृष्टि में राहत और मुआवजे देने के अलावा इस बार ४.५ की मार्फिन निर्धारित करने में जो पट्टे कटे है, उन्हें फिर से बहाल करने की मांग कर रहे है।

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