शौचालय नहीं होने के कारण कोर्ट पहुंचा यह मामला शहर का ही है। शहर की नसरीन का निकाह वर्ष 2019 में दावतखेड़ी के जूवेद अहमद से हुआ था।
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शादी के करीब ढाई साल बाद नसरीन पारिवारिक विवाद के चलते मायके चली गई। न्यायालय में प्रकरण पहुंचा तो सामने आया कि घर में शौचालय नहीं होने के कारण विवाद हो रहा है। खुले में जाना पड़ता है। कोर्ट ने जूवेद के पिता से घर में शौचालय बनाने के लिए कहा, जिस पर वह राजी हो गए। इसके बाद नसरीन पति के साथ रहने को तैयार हो गई।
मध्यस्थता ध्यान की तरह: हाई कोर्ट
हाईकोर्ट की युगल पीठ ने पति-पत्नी के विवाद को मध्यस्थता से खत्म करने की अनोखी पहल की है। एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान कहा कि मध्यस्थता मुकदमेबाजी में ध्यान की तरह है, इससे शांति व प्रकरण में अंतिमता लाई जा सकती है। इसलिए ग्वालियर बैंच में सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र स्थापित करना है। इसे स्थापित करने की जिम्मेदारी अधिवक्ताओं को दी है। अधिवक्ता मध्यस्थता केंद्र खोलने की दिशा में कार्य करेंगे। छोटे-छोटे विवाद शुरुआती स्टेज पर ही खत्म हो सकते हैं। दतिया के युवक ने पत्नी को घर बुलाने कोर्ट में अपील दायर की है। कोर्ट ने पाया कि विवाद को खत्म करने मध्यस्थता की जरूरत है। मध्यस्थता की पहल हो जाती तो दोनों के बीच विवाद खत्म हो जाता। कोर्ट ने पत्नी को नोटिस जारी किया है। मामले में याचिका पर सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।
प्रदेश में लोक अदालत
●12 से अधिक पति-पति के मामलों में मध्यस्थता ●1.38 लाख मामले सहमति से निपटे ●1397 खंडपीठों में सुनवाई ●5.80 लाख प्रकरण रखे गए प्री-लिटिगेशन के ●91 हजार प्रकरणों का निराकरण ●126.94 लाख रुपए के अवार्ड वितरित किए गए