टैक्स चोरी रोकने के लिए पैन को पर्याप्त नहीं मान रही सरकार सूत्रों के मुताबिक सरकार मनी लॉंड्रिंग रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार को इस बात की जानकारी है कि टैक्स चोरी रोकने के लिए केवल पैन ही काफी नहीं है। इसलिए वह आधार पर दांव लगा रही है। अभी दलालों या म्यूचुअल फंड कंपनियों को आधार नंबर नहीं बताना होता और निवेशकों की पहचान पैन के जरिए होती है। सेबी के बड़े अधिकारियों ने कुछ मार्केट इंटरमीडियरी को इस बारे में अनौपचारिक तौर पर जानकारी दी है। उन्हें बताया गया है कि फाइनैंशल मार्केट ट्रांजैक्शंस के लिए आधार नंबर को अनिवार्य बनाया जा सकता है। हालांकि अभी इस बात की कोई जानकारी नहीं लगी है कि इसका अधिकारिक घोषणा कब होगी। यह भी पता नहीं है कि क्या इस मामले में आधार, पैन की जगह लेगा। सरकार पहले आधार को पैन, बैंक अकाउंट और मोबाइल फोन से लिंक करने की बात कह चुकी है। बैंक अकाउंट रखने वालों को इस साल 31 दिसंबर तक आधार डिटेल्स अपने बैंक को देनी होगी।
केवाईसी का होगा इस्तेमाल जानकारी के मुताअबक ऑनलाइन म्यूचुअल फंड ट्रांजैक्शंस के लिए आधार का इस्तेमाल नो योर क्लाइंट (केवाईसी) चेक के लिए किया जा सकता है। दरअसल, अभी आधार से ऑनलाइन केवाईसी (ई-केवाईसी) करने वाले इनवेस्टर्स को म्यूचुअल फंड के पास जाकर फॉर्म जमा करने की जरूरत नहीं पड़ती और ना ही उन्हें हस्ताक्षर मिलाने के लिए वहां जाना पड़ता है। कुछ दलाल अपनी इंडस्ट्री के लिए आधार ई-केवाईसी की सुविधा मांग कर रहे हैं। दलालों का कहना है कि आधार को अनिवार्य बनाने से स्टॉक मार्केट से जुड़ी कुछ गड़बडिय़ों को दूर करने में मदद मिलेगी। मार्केट एक्सपर्ट्स की मानें तो शेयर बाजार के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में पैन से मदद नहीं मिली है। दलालों का आरोप है कि मल्टीपल पैन और फेक डीमैट अकाउंट्स के जरिए अभी भी काला धन शेयर बाजार में लाया जा रहा है। सरकार के इस कदम का ब्रोकरेज इंडस्ट्री पर व्यापक असर होगा।