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अमरीका से हुए विवाद के बाद अब चीन के बाजार में पैठ बनाने में जुटा भारत

locationनई दिल्लीPublished: Sep 20, 2018 03:46:19 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

अमरीका के साथ जारी विवाद को देखते हुए भारत सहित कई एशियाई देशों ने दुनिया के सबसे बड़े कृषि बाजार चीन में अपनी पैठ बनाने के लिए उसके साथ बातचीत का दौर शुरू कर दिया है।

PM Modi

अमरीका से हुए विवाद के बाद अब चीन के बाजार में पैठ बनाने की जुटा भारत

नर्इ दिल्ली। अमरीका के साथ जारी विवाद को देखते हुए भारत सहित कई एशियाई देशों ने दुनिया के सबसे बड़े कृषि बाजार चीन में अपनी पैठ बनाने के लिए उसके साथ बातचीत का दौर शुरू कर दिया है। पशुओं को खिलाने वाले चारे को बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले सोयाबीन सहित कई अमरीकी उत्पादों पर चीन ने भारी टैरिफ लगा दिया है, जिससे इसकी आपूर्ति का संकट मंडराने लगा है।

भारत की सरसों पर चीन का प्रतिबंध
चीन ने गत साल अमरीका से 12.7 अरब डॉलर का सोयाबीन आयात किया था। चीन ने इसके बाद पशुओं के चारे में इस्तेमाल किये जाने वाले अन्य विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है। इसका एक विकल्प सरसों भी है। चीन ने इसी क्रम में गत जुलाई में भारत सहित पांच एशियाई देशों से आयातित सोयाबीन, सोया खली और काली सरसों पर से टैरिफ हटा दिया था। टैरिफ हटाए जाने के बावजूद भारत के लिए चीन के कृषि बाजार में पैठ बनाने में सबसे बड़ी बाधा वर्ष 2011 में उसके काली सरसों निर्यात पर चीन द्वारा लगाया गया प्रतिबंध है।

आखिर क्यों लगाया था प्रतिबंध
चीन ने दरअसल भारत से आयातित काली सरसों में मैलेसाइट ग्रीन डाई पाए जाने पर यह प्रतिबंध लगाया था। भारत में अनाज की बोरियों पर निशान बनाने के लिए आमतौर पर यह रंग लगाया जाता है। चीन ने वर्ष 2011 में भारत से 16 करोड़ डॉलर से अधिक कीमत की काली सरसों आयातित की थी। भारत ने मौजूदा स्थिति को देखते हुये एक बार फिर चीन के बाजार में अपनी जगह बनाने के लिए बातचीत शुरू कर दी है। उसने चीन से आग्रह किया है कि वह उसके काली सरसों पर लगाया गया प्रतिबंध हटा ले।

चीन के साथ हुर्इ बातचीत
इस संबंध में बुधवार को बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास में बैठक हुई। इस बैठक में भारत के राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा और चीन के चैंबर ऑफ कॉमर्स ऑफ फूडस्टफ एंड नैटिव प्रोड्यूस के उपाध्यक्ष रोंग वेडोंग शामिल हुये। एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि इस बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया लेकिन आगे भी नयी दिल्ली और चीन में इस संबंध में बातचीत जारी रहेगी।

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