देश में अभी त्योंहारी सीजन चल रहा है। इस सीजन में आने वाली भारी डिमांड को पूरा करने के लिए थोक व्यापारियों ने अपने पास बड़ी मात्रा में चाइनीज सामान पहले से ही मंगवा लिया है। ज्यादातर रिटेल व्यापारियों ने बहुत सारा माल थोक व्यापारियों से खरीद भी लिया है। ऐसे में अगर चाइनीज सामान का बहिष्कार किया जाता है तो उनके पास पड़ा सामान कोडिय़ों का हो जाएगा।
रिटेल व्यापारियों का कहना है कि अगर देश की ऐसी ही नीति रहने वाली है तो इसकी जानकारी उन्हें पहले दी जानी चाहिए थी। जिससे वे चाइनीज सामान खरीदते ही नहीं। साथ ही उनका कहना है कि भारतीय मैन्यूफैक्चरर भी अभी जितनी डिमांड है उतना माल देने में सक्षम नहीं हैं। मेड इन इंडिया के नाम से सामान बेचने वाले भी कच्चा माल चाइना से ही मंगवाते हैं।
दीवाली के सीजन में सबसे ज्यादा माल इलैक्ट्रिक एलईडी लडिय़ों का खपत होता है। दीपक और मोबाइल फोंस भी चाइनीज है मार्केट में ज्यादा बिकते हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह पहले घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे और पर्याप्त मात्रा में उत्पादन होने पर ही चाइनीज सामान की बिक्री पर कोई फैसला ले। हालांकि जन भावनाएं कुछ अलग ही हैं।