कच्चे तेल से सेंसेक्स का क्या रिश्ता है?
भारत कच्चे तेल के बड़े आयातकों में से एक है। जब भी कच्चे तेल के दाम बढ़ते हैं तो इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। दरअसल, भारत को कच्चे तेल का भुगतान विदेशी मुद्रा में करना होता है। कच्चे तेल की कीमत जितनी ज्यादा होगी भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार उतना कम होगा और देश की इकोनॉमी पर नकारात्मक असर पड़ेगा। शेयर बाजार एक तरह से ऐसा सूचकांक है जो देश की अर्थनीति और अर्थव्यवस्था पर लोगों के भरोसे को भी दिखाता है ऐसे में इकोनॉमी होने वाला हर छोटा—बड़ा सकारात्मक या नकारात्मक असर यहां दिखने लगता है। भरोसा घटते ही निवेशक अपनी पूंजी बाजार से निकालना शुरू कर देते हैं इससे बाजार गिरने लगता है। पिछले 9 महीनों में कच्चे तेल का दाम 64 डॉलर प्रति बैरल से 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है।
गिरता रुपए सबसे बड़ी चिंता
इस वक्ता दुनिया में डॉलर लगातार मजबूती की ओर आगे बढ़ रहा है। जिसका असर दुनिया के बाकी देशों की करंसी पर पड़ रहा है। इसका असर है कि रुपया अब तक के निचले स्तर तक पहुंच गया है। इसका मतलब ये हुआ कि दुनिया के आर्थिक मंच पर रुपया जितना कमजोर होगा, देश की आर्थिक साख उतनी ही कमजोर होगी। निवेशकों का भरोसा उतना कम होगा। बाहर से बाजार में पैसा आना बंद होगा। इसके चलते शेयर बाजार गिरना शुरू हो जाएगा। पिछले चार महीने में रुपया डॉलर के मुकाबले छह रुपए तक नीचे गिर चुका है।
विदेशी निवेशकों का उठा भरोसा
शेयर बाजार गिरने को आम लोगों की भाषा में समझने का प्रयास करें तो विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजार से उठने लगा है। वो अपनी पूंजी भारतीय बाजार से निकालने लगते हैं। तब इसमें और ज्यादा गिरावट देखने को मिलती है। गुरुवार को सेंसेक्स में 800 अंकों से ज्यादा की गिरावट भी उसी का नतीजा है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पिछले कुछ दिनों में विदेशी निवेशक रिकॉर्ड 9.1 अरब डॉलर भारतीय स्टॉक और बांड से निकाल चुके हैं। विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर के नीचे आ गया है।
रोजगार आंकड़े नहीं बता रही सरकार
रोजगार के तिमाही आंकड़ों को काफी भरोसेमंद माना जाता है। लेकिन इस साल अब तक केंद्र सरकार ने इन आंकड़ों को जारी नहीं किया है। रोजगार के तिमाही आंकड़ों की दो रिपोर्ट लंबित हैं। ये रिपोर्ट हर तीसरे महीने प्रकाशित होनी चाहिए, रिपोर्ट में पिछली तिमाही के आंकड़े बताए जाते हैं। रोजगार मिलने की दर बढ़ने का मतलब होता है बाजार और अर्थव्यवस्था में मजबूती। वहीं, बढ़ती बेरोजगारी से निवेशकों पर बड़ा असर देखने को मिलता है।
कुछ घंटों में हो गया इतना नुकसान
अगर बात निवेशकों के नुकसान की करें चार घंटों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है। जब 3 अक्टूबर को शेयर बाजार बंद हुआ था तो सेंसेक्स का मार्केट कैप 14371351 करोड़ रुपए था। जबकि आज जब शेयर बाजार खुला और दोपहर डेढ़ बजे तक सेंसेक्स 800 से ज्यादा अंकों तक डाउन हो गया। जिसके बाद सेंसेक्स का मार्केट कैप 14020733 करोड़ रुपए हो गया। अगर इनके अंतर को देखें तो निवेशकों को करीब 3.50 लाख करोड़ करोड़ रुपए का नुकसान हो गया।