इसलिए छूट खत्म करना चाहती हैं कंपनियां दरअसल, तेल विपणन कंपनियों का मानना है कि ग्राहकों को छूट देने की वजह से उन पर वित्तीय भार बढ़ रहा है। इसका कारण यह है कि पिछले दो साल में डिजिटल भुगतान 25 फीसदी तक पहुंच गया है। यह 2016 में सिर्फ 10 फीसदी था। नोटबंदी के बाद नकदी की समस्या आने पर सरकार ने कार्ड के जरिए भुगतान करने पर 0.75 फीसदी छूट देने का निर्देश दिया था। हालांकि, लॉयल्टी बेनफिट वाले ग्राहकों के लिए पिछले महीने इसे घटाकर 0.25 फीसदी कर दिया गया। तेल विपणन कंपनियों की शिकायत यह भी है कि छूट के अतिरिक्त कार्ड से भुगतान पर लगने वाला शुल्क उन्हें ही वहन करना होता है।
तेल कंपनियों को लगेगी 2000 करोड़ की चपत मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मौजूदा समय में कैशबैक के रूप में तेल कंपनियों को करीब 1431 करोड़ रुपए की चपत लगी रही है। यदि यह कंपनियां इस छूट को जारी रखती हैं तो आने वाले समय में उनको करीब 2000 करोड़ रुपए की चपत लगेगी। हालांकि, एक तेल कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उन्हें कैशबैक खत्म करने की योजना की कोई जानकारी नहीं है। इस अधिकारी का कहना है कि कैशबैक की योजना को 2019 तक के लिए लागू किया गया था। आपको बता दें कि देश में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलिया तेल का वितरण करती हैं।