ये हैं मुख्य कारण
हालांकि, पिछले महीने सीएफपीआई की दर पिछले साल के अप्रैल से 0.61 फीसदी अधिक रही। ग्रामीण क्षेत्रों में सालाना सीपीआई अप्रैल में बढ़कर 4.67 फीसदी रहा, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 4.42 फीसदी रहा। आंकड़ों के मुताबिक, साल दर साल आधार पर खुदरा मुद्रास्फीति दर में बढ़ोतरी का मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों जैसे सब्जियों, दूध आधारित उत्पादों, अंडा, मांस और मछली में आई मंहगाई के कारण हुई है।
उपश्रेणी के आधार पर, अप्रैल में सब्जियों के दाम में 7.29 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि दूध आधारित उत्पादों के दाम में 3.21 फीसदी की वृद्धि हुई। अन्य महत्वपूर्ण उपश्रेणियों में अनाज के दाम में 2.56 फीसदी की कमी आई, जबकि मांस और मछली की कीमतें 3.59 फीसदी बढ़ीं। समीक्षाधीन अवधि में खाद्य और वेबरेज श्रेणी के मूल्य में पिछले साल की तुलना में तीन फीसदी की तेजी दर्ज की गई। गैर-खाद्य श्रेणियों में अप्रैल में ईधन और बिजली खंड की महंगाई दर बढ़कर 5.24 फीसदी रही।
थोक महंगार्इ दर भी बढ़ी
देश में र्इंधन समेत खाद्य वस्तुआें के दाम बढ़ने के बाद अब अप्रैल माह में थोक् महंगा्रइ दर (WPI) हो गर्इ है। इसके पहले मार्च माह में थोक महंगार्इ दर 2.47 फीसदी रहा था। वहीं पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल माह में की बात करें तो ये आंकड़ा 3.85 फीसदी रहा था। ये आंकड़े वाणिज्य आैर उद्योग मंत्रालय ने जारी किया। आंकड़े जारी करते हुए मंत्रालय ने कहा, ‘प्राथमिक वस्तू समूहों की खाद्य वस्तूआें एंव विनिर्मित उत्पाद समूहों के खाद्य उत्पादों के मिलेजुले थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगार्इ दर मार्च महीने में 0.07 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 0.67 फीसदी हो गया है।’ इसके साथ ही आज ही सांख्यिकी मंत्रालय भी खुदरा महंगार्इ दर का आंकड़ा जारी करने वाला है।