पेट्रोल-डीजल से लेकर रसोर्इ गैस तक पर पड़ेगा असर
रुपये में भारी कमजोरी से साल 2018-19 में भारत के लिए कच्चे तेल आयात करना महंगा पड़ सकता है। एक अनुमान के मुताबिक कच्चे तेल के आयात पर करीब 26 अरब डाॅलर का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा। डाॅलर के मुकाबले रुपये की गिरावट से तेल का आयात 114 अरब डाॅलर तक पहुंच सकता है। बताते चलें की आज सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन डाॅलर के मुकाबले रुपया 43 पैसे की गिरावट के साथ 70.32 के स्तर पर खुला। सरकारी अधिकारियों के मुताबकि, रुपये में आर्इ इस कमजाेरी का असर पेट्रोल-डीजल समेत रसोर्इ गैस तक के खुदरा कीमतों पर देखने को मिल सकता है।
अनुमान से अधिक खर्च करने होंगे
आपको बात दें मौजूदा समय में भरत अपनी जरूरतों को 80 फीसदी से अधिक के कच्चे तेल का आयात दूसरे देशों से करता है। वर्ष 2017-18 में भारत ने 22.04 करोड़ टन कच्चा तेल आयात किया था। इस आयात पर भारत को 87.7 अरब डाॅलर (5.65 लाख करोड़ रुपये) करना पड़ा था। वित्त वर्ष 2018-19 में 22.7 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात किए जाने की संभावना है। इस मामले से जुड़े एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में कच्चे तेल का आयात बिल करीब 108 अरब डाॅलर (7.02 लाख करोड़ रुपये) रहने की उम्मीद थी। लेकिन ये आंकडा कच्चे तेल के 65 डाॅलर प्रति बैरल आैर 65 रुपये प्रति डाॅलर की दर से तय किया गया था। लेकिन अगस्त माह में विनिमय दर का आैसत 67.6 रुपये प्रति डाॅलर रहा है। यदि वित्त वर्ष की बची अवधि में रुपया 70 रुपये के स्तर पर रहते है तो तेल आयात बिल 114 अरब डाॅलर पर पहुंच जाने की संभावना है।