नोटबंदी और जीएसटी से आर्थिक गतिविधियों पर असर
पिछले साल नवंबर मे किया गया नोटबंदी और फिर इस साल एक जुलाई का लागू किया गए जीएसटी समेत अन्य कारणों से भारत की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है। एजेंसी ने हाल ही में हुए अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य मे कहा, बैंको का बढ़त एनपीए के कारण कर्ज वृद्धि और व्यापार निवेश के लिए हालात कमजोर बना हुआ है। इसके पहले एशियन डेवलपमेंट बैंक ने प्राइवेट कंज्प्शन, मैन्यूफैक्चिरिंग और इवेंस्टमेंट में कमजोर रूख के कारण पिछले महीने जीडीपी में वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया था।
2010 के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था तेजी की ओर
इसके पहले वित्त वर्ष में भारत का आर्थिक वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहा था। फिच ने ये भी कहा कि पूरी दुनिया के अर्थव्यवस्था को देखें तो इसमें सुधार हुआ है और यह 2010 के बाद तीव्र वृद्धि की ओर अग्रसर है। भारत की जीडीपी दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5.7 फीसदी रही जो पिछले साल के इसी अवधि से कम है। आपको बता दें की जीडीपी वृद्धि दर पिछले पांच तिमाहियों से नीचे जा रहा है।
जीएसटी लागू होने से पहले कंपनियों ने अपने पूराने माल को जल्दी निकाला जिसके कारण अब पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियां पर असर देखने को मिला। इस समय मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सालाना केवल 1.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। प्राइमरी सेक्टर मे भी वृद्धि दर कम हुआ है। हालांकि निर्माण और सेवा क्षेत्र मे तेजी लौटी है। फिच ने ये भी अनुमान लगाया है कि दूसरी तिमाही में खपत बढऩे से मांग भी बढ़ेगा जिसके बाद से आर्थिक गतिविधियों मे भी तेजी आ सकता है।