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चालू खाते घाटे में बड़ी बढ़ोतरी, जीडीपी का 2.4 फीसदी पहुंचा

इसके बाद भारत अब विदेशी मुद्रा के मामले में 8वें नंबर पर है, इसमें चीन और जापान सबसे आगे हैं।

Sep 16, 2017 / 04:42 pm

manish ranjan

Foreign reserve exchange

नई दिल्ली। देश के चालू खाते के घाटे (सीएडी) में आयात में बढ़ोतरी के कारण वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में तेजी दर्ज की गई और यह 14.3 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 0.4 अरब डॉलर थी। इस तिमाही मे चालू खाता घाटा जीडीपी के 2.4 फीसदी हो गया है जो की पिछले साल के मुकाबले 0.1 फीसदी ज्यादा हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वैश्विक बाजारों मे आने वाले किसी भी तरह के संकट का सामना करने में यह पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसके बाद भारत अब विदेशी मुद्रा के मामले में 8वें नंबर पर है, इसमें चीन और जापान सबसे आगे हैं।


व्यापार घाटा मे भी हुआ है बढ़ोतरी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले वित्त की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) की तुलना में चालू खाता घाटे में 3.4 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लेकिन इससे आयात निर्यात में 21 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ यह आगे निकल गया है। इसके बाद व्यापार घाटा भी बढक़र पिछले साल के 7.7 अरब डॉलर के मुकाबले 11.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।


मैक्रोइकोनॉमिक्स मे सुधार से निवेशकों का भरोस बढ़ा

रुपया भी गिरकर डॉलर के मुकाबले 68.85 के स्तर पर पहुंच गया और विदेशी मुद्रा भंडार भी 275 अरब डॉलर के स्तर तक आ गया। इसके बाद सरकार और केन्द्रीय बैंक इस संकट से उबरने के लिए कई कोशिश भी कर चुकें है। सरकार ने एनआरआई के लिए तीन वर्षीय विशेष जमा योजना भी शुरू किया था जिससे सरकार को लगभग 27 अरब डॉलर की कमाई हुई। इसके बाद से वित्तिय घाटे पर लगाम लगा है और साथ ही मैक्रोइकोनॉमिक्स में सुधार से निवेशकों को भरोसा भी बढ़ा है।


आरबीआई ने कहा, “देश के चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में 14.3 अरब डॉलर रहा, जो जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 2.4 फीसदी है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में यह 0.4 अरब डॉलर था, जो जीडीपी का 0.1 फीसदी था। वहीं, वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में यह 3.4 अरब डॉलर था, जो जीडीपी का 0.6 फीसदी है।” बयान में कहा गया, “चालू खाते के घाटे में साल-दर-साल आधार पर बढ़ोतरी का मुख्य कारण बढ़ता व्यापार घाटा है, जो 41.2 अरब डॉलर है। देश में निर्यात की तुलना में लोग अधिक आयात कर रहे हैं।”

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