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कर्नाटक चुनाव का असर, महंगे कच्चे तेल की बावजूद नहीं बढ़ रहा पेट्रोल-डीजल का दाम

locationनई दिल्लीPublished: May 02, 2018 09:50:48 am

Submitted by:

Ashutosh Verma

कर्इ हफ्तों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी के बाद भी घरेलू बाजार में तेल की दामों में कोर्इ बदलाव नहीं किया गया है।

Petrol-Diesel Price

नर्इ दिल्ली। कर्नाटक चुनाव के देखते हुए सरकार लोगों के पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से राहत देने की कोशिश कर रही हैं। यही वजह है कि पिछले कर्इ हफ्तों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी के बाद भी घरेलू बाजार में तेल की दामों में कोर्इ बदलाव नहीं किया गया हैं। 24 अप्रैल से आजतक तेल कंपनियों ने दाम में कोर्इ बढ़ोतरी नहीं किया है। दिल्ली में पिछले 24 अप्रैल से पेट्रोल का दाम 74.63 रुपए आैर डीजल का दाम 65.93 रुपए पर बना हुआ है। गौरतलब है कि इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में 2 डाॅलर प्रति बैरल तक बढ़ी है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था की सरकार ने कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर तेल के दामों में बढ़ोतरी पर रोक लगा दी है, जिसे पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंन्द्र प्रधान ने पहले ही खंडन कर दिया है। एेसे में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों घरेलू तेल कंपनियां दाम में बदलाव नहीं कर रही है? क्या वो सरकार के दबाव में हैं ? क्या केन्द्र सरकार कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर तेल कंपनियों पर दाम न बढ़ाने का दबाव बना रही है?


इसके पहले भी नहीं बढ़ाया गया था पेट्रोल-डीजल का दाम

घरेलू तेल कंपनियों ने इसके पहले 16 से 19 अप्रैल के बीच भी पेट्राेल-डीजल के दाम में कोर्इ बढ़ोतरी नहीं की थीं। 11 अप्रैल के बाद से ही इंडियन आॅयल, भारत पेट्रोलियम आैर हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के शेयरों में 9-16 फीसदी की गिरावट देखने को मिला। बता दें कि ये तीनों कंपनियां कुल मिलाकर देश की 90 फीसदी आॅयल रिटेल मार्केट को कंट्रोल करती हैं। हालांकि सरकार आैर तेल कंपनियों ने एेसे किसी भी दिशा-निर्देशों को खारिज कर दिया है जिसमें जान-बूझकर तेल के दामों में बदलाव न करने की बात कही गर्इ है, लेकिन विश्लेषक इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। हाल ही में तेल के कीमतों के संशोधन को लेकर विघटन की स्थिति देखी गर्इ है।


चुनाव से पहले धीमी गति से बढ़ाया जाता है तेल के दाम

गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान दिसंबर माह के पहले 15 दिन इंडियन अाॅयल ने रोजाना एक से तीन पैसे की मामूली बढ़ोतरी ही की थी। आैर फिर मतदान के बाद इसमें भारी बढ़ोतरी किया गया था। देश में पेट्रोल-डीजल के दाम को सालों से विनियंत्रित किया जाता रहा है लेकिन ये व्यापकर रुप से माना जाता रहा है कि चुनाव से पहले तेल कंपनियां तेल की दामों में धीमी गति से बदलाव करती हैं। जैसे ही चुनाव खत्म होता है तेल कंपनियां तेजी से बढ़ोतरी करती हैं। सरकारी कंपनियां अपने मूल्य निर्धारण प्रयासों को सिंक्रनाइज़ करते हैं, आैर अपने संबंधित पंपो पर एक दूसरे के कुछ पैसे के भीतर दरें रखते हैं। ये दरें रिलायंस या एस्सार ऑयल जैसे निजी खिलाड़ियों के लिए भी एक गाइड हैं।


अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ रहे हैं कच्चे तेल के दाम

पिछेल कुछ दिनों से कर्इ कारणों से अंतर्राष्ट्रीय बाजर में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रहा है। तेल की मांग, मुख्य आॅयल प्रोड्यूसर्स द्वारा सप्लाइ कट जैसे कुछ कारण है जिसके वजह से तेल की कीमतो में बढ़ोतरी देखने को मिल रहा है। कच्चे तेल की कीमत लगभग 75 डाॅलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है जो कि पिछले साल 1 जुलार्इ के बाद 55 फीसदी की बढ़ोतरी है। इसी समय से दिल्ली में पेट्रोल में 11.54 रुपए आैर डीजल के दाम में 12.6 रुपए की बढ़ोतरी हुर्इ है।


पेट्रोल-डीजल के दाम में रोज हाेता है बदलाव

बता दें कि पिछले साल सरकार ने डाॅलर आैर कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव से हाेने वोल नुकसान को देखते हुए पेट्रोल-डीजल के दाम को रोज तय करने का फैसला लिया था। इसके तहत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम के हिसाब से पेट्रोल-डीजल के दाम में रेाज रात 12 बजे बदलाव होताा है।

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