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राहत : अब रेस्त्रां में खाना हो सकता है सस्ता, छोटे कारोबारियों को भी फायदा

कम्पोजिशन स्कीम के तहत मैन्यूफैचरर्स पर दो फीसदी और रेस्त्रां मालिकों को पांच फीसदी टैक्स देना होता हैं।

नई दिल्लीOct 30, 2017 / 10:51 am

manish ranjan

Restaurant

नई दिल्ली। जीएसीटी के तहत अब रेस्त्रां में खाना सस्ता हो सकता हैं। जीएसटी से जुड़े जीओएम ने एसी रेस्त्रां पर जीएसटी को 12 फीसदी करने और कम्पोजिशन स्कीम के तहत मैन्यूफैक्चरर्स और रेस्त्रां पर लगने वाले टैक्स मे कमी की मांग की हैं। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में टैक्स से इन राहतों पर मुहर लग सकती हैं। फिलहाल एसी रेस्त्रां पर 18 फीसदी की दर से लगता हैं। कम्पोजिशन स्कीम के तहत मैन्यूफैचरर्स पर दो फीसदी और रेस्त्रां मालिकों को पांच फीसदी टैक्स देना होता हैं। इसे अब घटाकार दोनों के लिए एक फीसदी करने को फै सला लिया जा सकता हैं। जीओएम की यह बैठक असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा के अध्यक्षता में हुआ। इस बैठक में जीओएम ने एकमुश्त योजना के दायरे में नहीं आने वाले एसी और नॉन एसी रेस्त्रां की बीच के अंतर के समाप्त करने को सुझाव दिया हैं। लेकिन 7,500 रुपए से अधिक के किराए वाले होटलों पर 18 फीसदी की दर से टैक्स को नहीं बदलने की भी बात कही हैं।

 

अक्टूबर में हुए बैठक के दौरान जीओएम का गठन किया गया था। इस जीआएम को विभिन्नय श्रेणी के रेस्त्रां के टैक्स ढांचे पर एक बार फिर से विचार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री अमर अग्रवाल को भी इस जीओएम का सदस्य बनाया गया था।


जीएसटी की अगली बैठक 9 नंवबर को होने वाली हैं। केन्द्र सरकार ने राज्यों को जीएसटी से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए 8,698 करोड़ रुपए को कोष जारी किया हैं। इस बैठक में कई और बातों की भी सिफारिशें की गई। जैसे जॉब वर्क में लगे मैन्यूफैक्चरर के एकमुश्ता योजना के फायदे मिल सके, दो राज्यों के बीच व्यापार करने वाली कंपनियंों को भी लाभ देने की बात दिया जा सके। ऐसा माना जा रहा है जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इन बातों पर मुहर भी लगाया जा सकता हैं।


कम्पोजिशन स्कीम उन करोबारियों के लिए है जिनका करोबार एक करोड़ रुपए से कम हैं। जीएसटी परिषद ने एक अक्टूबर से यह सीमा 75 लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया था। इसके तहत रियायती दर पर टैक्स भुगतान करना होता हैं। टैक्सपेयर को मासिक आधार पर टैक्स देना होता है। इसके साथ ही इन्हे एक ही रिटर्न भरने की जरूरत होती हैं।

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