जेटली ने कहा, रेवेन्यू न्यूट्रल होने के बाद हमारे पास सुधार की गुंजाइश है। तब अपेक्षाकृत छोटे स्लैब जैसे बड़े रिफॉमर््स के लिहाज से सोचा जा सकेगा, लेकिन उसके लिए हमें रेवेन्यू न्यूट्रल प्लस होना होगा। रेवेन्यू न्यूट्रल स्ट्रक्चर का मतलब ये है कि सरकार और राज्यों को जीएसटी के तहत पहले वाले सिस्टम के मुकाबले राजस्व को कोई नुकसान न हो। नेशनल एकेडमी आूॅफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नारकोटिक्स (NCIAN) की आरे से आयोजित संमरोह को संबोधि करने के दौरान ही टैक्स स्लैब मे कमी करने के संकेत दिए।
एनएसीआईएन के 67वें बैच को संबोधित करते हुए जेटली ने छोटे टैक्सपेयर्स का कंप्लाएंश को भी घटाने का संकेत दिया। उन्होने इस दौरान कहा कि, जीएसअी लागू किए हुए 2-3 महीने हुए हैं। हमारे पास सुधार करने की गुंजाइश है। उन्होने कहा कि, इनडायरेक्ट टैक्स का बोझ समाज के हर व्यक्ति पर पड़ता है, लिहाजा इस प्रयास मे रहती है कि ज्यादा उपभोक्ता वाली कमोडिटी पर टैक्स कम करें। जबकि डायरेक्ट टैक्स का भुगतान ज्यादातर अमीर लोग करते हैं। इसलिए हमेशा ही फिस्कल पॉलिसी के तहत यह सुनिश्चित करने का प्रयास रहता है कि जिन कमोडिटिज का उपभोग आम लोग ज्यादा करते हों उन पर दूसरी वस्तुओं के मुकाबले कम टैक्स लगाया जाए। जेटली ने कहा कि भारत एक ऐसा समाज है जो परंपरागत रूप से टैक्स नियमों का पालन करने पर ध्यान नहीं देता रहा है। लेकिन अब इसमें एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है। लोग अब इसका महत्व समझने लगे हैं। लोग विकास मी मांग करने की अधिकारी तो है ही, साथ में उनकी यह भी जिम्मेदारी है कि उस विकास के लिए जरूरी हो कि उसके लिए वो पैसा चुकाएं।