जीएसटी दरों में एकरूपता लाने की जरूरत
अधिया ने कहा कि, ऐसा संभव है कि एक ही श्रेणी के कुछ उत्पादों पर अलग-अलग टैक्स दर प्रभावी हों, ऐसे में इनमें एकरूपता लाने की जरूरत है। इसके साथ छोट और मझोले कारोबारियों के साथ-साथ आम आदमी को भी यदि कुछ वस्तुओं की दरों का बोझ ज्यादा लग रहा हो उन्हे उचित रूप से घटाकर जीएसटी की स्वीकार्यता को बढ़ाया जाना चहिए। इसके पहले भी जबसे जीएसटी टैक्स व्यवस्था लागू हुआ है तब से ही इसको लेकर कारोबारियों और आम लोगों को कई परेशानियों का सामन करना पड़ रहा है। जिसको लेकर जीएसटी काउंसिल ने अपने बैठकों में नए टैक्स व्यवस्था को लेकर कई अहम बदलाव कर चुकी हैं। इसपर अधिया ने कहा कि इस नई टैक्स व्यवस्था को स्थिर होने में एक साल तक का समय लग सकता है। सरकार कारोबारियों के लिए इस व्यवस्था को अनुकूल बनाने के लिए जरूरी कदम उठाती रहेगी जिससे की इसकी स्वीकार्यता बढें।
अभी भी जीएसटी में जरूरी है कई बदलाव
इस इंटरव्यू में अधिया ने कहा, हम चाहते है कि, दरों मे एकरूपता जितना जल्दी लाया जाए उतना ही अच्छा। हालांकि अभी ये देखना होगा की जीएसटी काउंसिल इस संबंध में कितना जल्दी फैसला लेता हैं। इसके लिए उन्हें आंकड़े जुटाने होंगे और राजस्व से जड़ें कई गणना करना होगा। जीएसटी व्यवस्था के स्थिर होने की बात पर अधिया ने कहा कि, यह सभी के लिए एक नया टैक्स व्यवस्था है, अभी भी इसमें कुछ जरूरी बदलाव हो रहें है जिससे की इसे स्थिर होने में अभी एक साल तक का समय लग सकता है।
जीएसटी काउंसिल की 23वीं बैठक 10 नवंबर को गुवाहाटी में होने वाली है। अधिया के इस बयान के बाद ये संभव है कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में दरों को लेकर कुछ अहम बदलाव देखने को मिल सकता है। ये बैठक वित्त मंत्री अरूण जेटली की अगुवाई में होगा।