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देश में पहली बार बायो फ्यूल से उड़ा विमान, एेसा करने वाला पहला विकासशील देश बना भारत

locationनई दिल्लीPublished: Aug 27, 2018 03:44:07 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

देश में पहली बार बायो फ्यूल से विमान उड़ाने का प्रयोग आज सफल रहा। किफायती विमान सेवा कंपनी स्पाइस जेट की यह परीक्षण उड़ान सुबह देहरादून से चलकर दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी।

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देश में पहली बाद बायो फ्यूल से उड़ा विमान, एेसा करने वाला पहला विकासशील देश बना भारत

नर्इ दिल्ली। देश में पहली बार बायो फ्यूल से विमान उड़ाने का प्रयोग आज सफल रहा। किफायती विमान सेवा कंपनी स्पाइस जेट की यह परीक्षण उड़ान सुबह देहरादून से चलकर दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी। विमान में 23 यात्री और चालक दल के पांच सदस्य सवार थे। इसके एक इंजन में जैव विमान ईंधन का प्रयोग किया गया था। यह विमान ईंधन देहरादून की इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम ने तैयार किया है। विमान के दिल्ली में उतरने के बाद टर्मिनल टू पर प्रेस वार्ता में नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि यह महज शुरुआत है। आने वाले दिनों बड़े पैमाने पर जैव विमान ईंधन के प्रयोग के लिए उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है।

प्रदूषण में आ सकती है कमी
स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह की मानें तो बायो जेट फ्यूल की लागत काफी कम आती है। साथ ही वातावरण में प्रदूषण कम करने में भी मदद करता है। उन्होंने कहा एविएशन इंडस्ट्री में विमानों को उड़ाने में इस्तेमाल होने वाले परंपरागत र्इंधन के इस्तेमाल में 50 फीसदी तक की कमी आ सकती है। वहीं प्लेन में सफर करने वालों का किराया भी कम लगेगा। बायो जेट फ्यूल को अमरीकी मानक परीक्षण प्रणाली से मान्यता है।

यह होगा बड़ा फायदा
बायोफ्यूल सब्जी के तेलों, रिसाइकल ग्रीस, काई, जानवरों के फैट आदि से बनाया जाता है। जीवाश्म ईंधन की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। एयरलाइंस इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन नाम की ग्लोबल असोसिएशन ने लक्ष्य रखा है कि उनकी इंडस्ट्री से पैदा होने वाले कॉर्बन को 2050 तक 50 फीसदी कम किया जाए। बायोफ्यूल के इस्तेमाल से एविएशन इंडस्ट्री में पैदा होने वाले कार्बन को 80 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

12 हजार करोड़ रुपए होगी बचत
भारत पेट्रोलियम पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ‘नैशनल पॉलिसी फॉर बायोफ्यूल 2018’ जारी किया था। इसमें आने वाले 4 सालों में एथेनॉल के प्रोडक्शन को 3 गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। जिससे 12 हजार करोड़ रुपए सिर्फ तेल आयात से बचाए जा सकते हैं।

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