छोटे साइज का बड़ा फायदा
प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट से अच्छे रिटर्न के लिए अपना उद्देश्य तय करना बेहद जरूरी है। कई बार निवेशक रेसिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी में तकनीकी अंतर को नहीं समझ पाते हैं और भावनात्मक आधार पर फैसला ले लेते हैं। यदि निवेश के लिए कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो छोटे साइज को प्राथमिकता देना चाहिये। किराये पर देने और बेचने दोनों के लिये इनकी अच्छी खासी मांग रहती है। वहीं रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो 1 बीएचके या 2 बीएचके पर फोकस करना ठीक रहेगा, इनकी कीमत तेजी से बढ़ती है और लो बजट के कारण खरीदार भी हमेशा उपलब्ध रहते हैं। साथ ही रेंटल रिटर्न की भी अच्छी संभावना रहती है।
प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट से अच्छे रिटर्न के लिए अपना उद्देश्य तय करना बेहद जरूरी है। कई बार निवेशक रेसिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी में तकनीकी अंतर को नहीं समझ पाते हैं और भावनात्मक आधार पर फैसला ले लेते हैं। यदि निवेश के लिए कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो छोटे साइज को प्राथमिकता देना चाहिये। किराये पर देने और बेचने दोनों के लिये इनकी अच्छी खासी मांग रहती है। वहीं रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो 1 बीएचके या 2 बीएचके पर फोकस करना ठीक रहेगा, इनकी कीमत तेजी से बढ़ती है और लो बजट के कारण खरीदार भी हमेशा उपलब्ध रहते हैं। साथ ही रेंटल रिटर्न की भी अच्छी संभावना रहती है।
लोकेशन का चयन
निवेश के लिए प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो विकासशील क्षेत्रों को प्राथमिकता दें। वहां कम पूंजी में ज्यादा जगह खरीदी जा सकती है। हालांकि इससे रिटर्न के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, लेकिन जब डेवलपमेंट दिखने लगता है तो कीमतें तेजी से बढ़ती हैं और एकमुश्त मोटा रिटर्न मिलता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उन जगहों पर देख सकते हैं जहां परिवहन के साधन तेजी से सुलभ हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली-एनसीआर जैसे महानगरों में जिन इलाकों में मेट्रो का विस्तार हो रहा है वहां प्रॉपर्टी के दामों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
टैक्स छूट यानी बचत
प्रॉपर्टी में निवेश करते वक्त भारी-भरकम रकम की जरूरत होती है। इसमें से कुछ आप अपनी बचत से देते हैं और शेष रकम बैंक से लोन लेते हैं। चूंकि होम लोन लंबे समय के लिए मिलता है ऐसे में इस पूरी अवधि के दौरान आयकर में छूट हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी को बेचकर मिलने वाले पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स) को किसी अन्य मकान की खरीद में निवेश करते हैं तो उस पर भी आपको टैक्स छूट मिल सकता है।
निवेश के लिए प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो विकासशील क्षेत्रों को प्राथमिकता दें। वहां कम पूंजी में ज्यादा जगह खरीदी जा सकती है। हालांकि इससे रिटर्न के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, लेकिन जब डेवलपमेंट दिखने लगता है तो कीमतें तेजी से बढ़ती हैं और एकमुश्त मोटा रिटर्न मिलता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उन जगहों पर देख सकते हैं जहां परिवहन के साधन तेजी से सुलभ हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली-एनसीआर जैसे महानगरों में जिन इलाकों में मेट्रो का विस्तार हो रहा है वहां प्रॉपर्टी के दामों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
टैक्स छूट यानी बचत
प्रॉपर्टी में निवेश करते वक्त भारी-भरकम रकम की जरूरत होती है। इसमें से कुछ आप अपनी बचत से देते हैं और शेष रकम बैंक से लोन लेते हैं। चूंकि होम लोन लंबे समय के लिए मिलता है ऐसे में इस पूरी अवधि के दौरान आयकर में छूट हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी को बेचकर मिलने वाले पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स) को किसी अन्य मकान की खरीद में निवेश करते हैं तो उस पर भी आपको टैक्स छूट मिल सकता है।