भारत में कृषि से होने वाली कमाई पर टैक्स नहीं लगता है, लेकिन कई बार लोग इसका इस्तेमाल कालेधन को सफेद करने के लिए करते हैं। जानकारों के मुताबिक, बहुत से भू-मालिक फर्जी बिलों के जरिए टैक्स छूट का दावा करते हैं और यह सिद्ध करते हैं कि बेचने से पहले उन्होंने इस पर खेती की।
यह है तैयारी
टैक्स डिपार्टमेंट इंडियन रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन (इसरो) से सैटलाइट तस्वीरें प्राप्त कर पता करेगा कि जिस किसान ने टैक्स छूट का दावा किया है उसके जमीन पर अवधि विशेष में फसल लगी थी या नहीं। अगर नहीं लगी है तो टैक्स छूट मांगने वाले के खिलाफ कर्रवाई की जाएगी।
क्यों है जरूरत
कई जानकार मानते हैं कि कृषि आय को कर मुक्त रखने से ये कर चोरी का बड़ा माध्यम बन गया है। कृषि आय पर कर के प्रावधान से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। एक तर्क ये भी है कि किसानों से कर ना लेना अन्य कर दाताओं के साथ न्याय नहीं है।
आंकड़ों में एक नजर
2006 से लेकर 2015 तक के आंकड़ों की बात करें तो बेंगलूरु में सबसे ज्यादा 321 लोगों ने कृषि से आय 1 करोड़ रुपए से ज्यादा दिखाई है। वहीं दिल्ली में 275, कोलकाता में 239, मुंबई में 212, पुणे में 192, चेन्नई में 181 और हैदराबाद में 162 टैक्सपेयर ने कृषि से आय 1 करोड़ रुपए से ज्यादा दिखाई है। पूरे भारत की बात करें दो हजार से ज्यादा ऐसे मामले हैं जिनपर टैक्स से छूट की रकम सवा नौ हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।