फेड रिजर्व के फैसले का असर
कार्वी कॉमट्रेड लिमिटेड के निदेशक (कमोडिटीज) रमेश वरखेडकर ने कहा, “अमरीकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा 2019 में सिर्फ दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की बात कहे जाने से वर्ष के आरंभ में सोने में जबरदस्त उछाल आया और सोने का भाव कॉमेक्स पर 1,300 डॉलर प्रति औंस से ऊपर चला गया। फेड ने पिछले साल ब्याज दरों में चार बार बढ़ोतरी की थी।” सेंट लुइस फेड प्रेसिडेंट जेम्स बलार्ड ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय बैंक को बेरोजगारी और महंगाई दरों के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आगे फिर ब्याज दरों में वृद्धि करने की जरूरत नहीं है। रमेश ने कहा, “पिछले साल घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी और मुद्रा बाजार में भारी उतार-चढ़ाव का दौर देखने को मिला, जिसमें अमरीका और चीन के बीच पैदा हुए व्यापारिक तनाव का असर कॉटन, सोयाबीन जैसे कृषि उत्पादों समेत अन्य कमोडिटी पर भी देखने को मिला। खासतौर से औद्योगिक धातुओं का प्रदर्शन मंद पड़ गया, क्योंकि औद्योगिक धातुओं की दुनिया में सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है।”
43,300-47,500 रुपए प्रति किलोग्राम रह सकती है चांदी की दर
उन्होंने कहा, “नवंबर के आखिर में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमरीका और चीन ने अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव 90 दिनों तक के लिए स्थगित कर दिया, जिससे बाजार को थोड़ा सपोर्ट मिला, लेकिन आगे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव खत्म करने की दिशा में किए जाने वाले प्रयास का असर देखने को मिल सकता है।” गौरतलब है कि दोनों देशों द्वारा समझौते की समय सीमा एक मार्च को समाप्त हो रही है, जबकि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से एक मार्च से पहले मुलाकात का उनका कोई कार्यक्रम नहीं है। कार्वी कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चांदी का भाव इस साल 17.19 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है, जबकि भारतीय वायदा बाजार एमसीएक्स पर चांदी में 43,300-47,500 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच कारोबार देखने को मिल सकता है।
अन्य आैद्याेगिक धातुआें की कीमतों को भी मिलेगी दिशा
रिपोर्ट में कहा गया है कि चांदी कीमती धातु होने के साथ-साथ औद्योगिक धातु भी है। इसलिए इसे सोने के साथ-साथ औद्योगिक धातुओं की कीमतों से भी दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि भूराजनीतिक तनाव से महंगी धातुओं के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ता है। रमेश ने कहा कि कच्चे तेल का भाव ओपेक और रूस द्वारा उत्पादन कटौती और अमरीका में कच्चे तेल के भंडार पर निर्भर करेगा। रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल -ब्रेंट क्रूड- का भाव 75 डॉलर प्रति बैरल के ऊपरी स्तर को छू सकता है। हालांकि उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहेगा। एमसीएक्स पर कच्चे तेल का ऊपरी स्तर 4,900 रुपये प्रति बैरल रह सकता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर 2018 और 2019 में 3.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जोकि पिछले साल अप्रैल में जारी अनुमान से 0.3 फीसदी कम है।
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