साल 2013 में हुआ था ये हाल 2 जनवरी 2013 को रुपया डॉलर के मुकाबले 54.24 पर था जो 3 सितंबर को 67.635 तक आ गिरा था।वहीं साल 2013 में फरवरी से अगस्त के बीच रुपया 23% टूट गया था। जबकि 2018 में जनवरी से सितंबर के बीच रुपया 11% टूटा है। वित्तीय घाटे की बात करें तो मनमोहन सरकार के राज में साल 2013 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 4.8% था। जो अब 2018 में यह 3.5% के आसपास है पहुंच चुका है। 2013 में फरवरी से अगस्त के बीच कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत औसतन 107 डॉलर प्रति बैरल से कम थी। 2018 में जनवरी से सितंबर के बीच यह औसतन 75 डॉलर प्रति बैरल रही। 2013 में सितंबर के पहले सप्ताह तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 285 अरब डॉलर था। अभी विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 415 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। आंकड़ों को देखने से साफ पता चलता है कि रुपए ने पीएम मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन में एक खास रिश्ता जोड़ दिया है। हालांकि मनमोहन रुपए से पार पाने में विफल रहे थे। लेकिन देखना होगा कि पीएम मोदी इससे पार पाते है या फिर मनमोहन सिंह की तरह ही विफल हो जाते हैं।