243 साल में ऐसे बदलता गया रुपया भारत में पेपर मनी का शुरुआती मुगलों द्वारा करीब 243 साल पहले किया गया था। 1773-75 के बीच ब्रिटेन के एजेंसी हाउसेज द्वारा जनरल बैंक ऑफ बंगाल और बिहार स्थापित किया। जिसके जरिए करंसी का लेन-देन शुरू हुआ। साल 1860 तक भारत में कई तरह की करंसी के ट्रांजैक्शन शुरु हुए। फाइनेंस मेंबर जेम्स विलसन ने 1861 में पेपर करंसी एक्ट लागू किया।
1935 में आरबीआई के हाथों में आया रुपया 1935 में आरबीआई में मनी मैनेजमेंट की कमान अपने हाथों में ली। 1938 में पहली बार रिजर्व बैंक ने 10,000 रुपए का नोट भारत में छापा था। 1938 में पहली बार रिजर्व बैंक ने पेपर करंसी छापी, यह 5 रुपए का नोट था। इसी साल 10 रुपए, 100 रुपए के नोट छापे गए। 1954 में एक बार फिर से 1,000 और 10,000 रुपए के नोट छापे गए। साथ ही 5,000 रुपए के नोट की भी छपाई की गई। 1954 में 10,000 और 5,000 रुपए के नोट छापे गए। 1978 में 10,000 और 5,000 रुपए के नोट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
1954 में जारी हुआ था 1000 रुपए का नोट सबसे पहले साल 1954 में 1000 रुपए के नोट जारी किए गए। लेकिन, इसे जनवरी 1978 में बंद कर दिया गया था। फिर साल 2000 में दूसरी बार 1000 रुपए के नोट जारी किए गए। 1978 जनवरी में भी 1000 रुपए का नोट बंद किया गया । 2000 में दूसरी बार 1000 रुपए का नोट जारी हुआ था।