दूसरा सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला करंसी बना रुपया
हालांकि, बीते कुछ सप्ताह से रुपए में यह कमजाेरी थमी है। डाॅलर के मुकाबले रुपए में इस तेजी का कारण वैश्विक व घरेलू स्तर पर कर्इ वजहों से रहा है। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल में भी लगातार नरमी देखने को मिल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने फाॅरेन एक्सचेंज को खाेला है आैर साथ ही मुद्रास्फिति में गिरावट भी देखने को मिला है। इसके परिणाम स्वरूप नवंबर माह में डाॅलर के मुकाबले रुपए में करीब 5 फीसदी का सुधार देखने को मिला है। साथ ही इंडोनेशिया के रूपियाह के बाद भारतीय रुपया एशिया का दूसरा सबसे बढ़िया प्रदर्शन करने वाला मुद्रा बन गया है। हालांकि, इस सुधार के बाद बावजूद भी भारतीय रुपया पिछले साल के सामान अवधि के मुकाबले 8.5 फीसदी नीचे है।
क्या रहा है यू-टर्न
साल 2018 के अधिकतर समय के लिए कच्चे तेल की कीमतों में उबाल देखने को मिला है जो कि रुपए के लिए अहम फैक्टर बना रहा। दरअसल, भारत की कुल मांग का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से आयात किया जाता है, जिसका पेमेंट डाॅलर में होता है। अक्टूबर माह में, कच्चे तेल का भाव 85 डाॅलर प्रति बैरल तक पहुंच चुका था जो कि बीते 4 साल में पहला एेसा मौका था। मीडिया में इस बात की खबर आने लगी थी निकट भविष्य में कच्चे तेल का भाव 100 डाॅलर प्रति बैरल के पार भी जा सकता है। लेकिन इसके बाद कच्चे तेल के भाव में करीब 25 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। रुपए के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक फैक्टर रहा, वो था कच्चे तेल का भाव। अमरीका र्इरान में रोक लगाने के लिए पूरी तरह मूड में था आैर अंततः उसने यह फैसला ले भी लिया। इससे भारतीय रुपए पर असर देखने को मिला।
भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों को माेहभंग भी रहा एक वजह
रुपए में इस गिरावट के लिए जो दूसरा फैक्टर सबसे महत्वपूर्ण रहा वो है डाॅलर में आर्इ मजबूभारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों को माेहभंग भी रहा एक वजहती। दुनियाभर के कर्इ उभरती अर्थव्यवस्थाआें की मुद्राआें में लगातार कमजोरी देखने को मिला, जिसमें भारतीय रुपया भी एक था। जिसके परिणाम स्वरूप, विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से बैकआॅफ करने लगे रहे। इससे भी रुपए में आगे आैर गिरावट देखने को मिली। हालांकि नवंबर माह में, डेट व इक्विटी बाजार में विदेश निवेश पोर्टफोलियो में सुधार देखने को मिला। इस मामले से जुड़े एक जानकार का कहना है कि जिन्होंने डाॅलर को होल्ड किया था वो अब इसके सेलअाॅफ करने में लगे हैं। जिससे डिमांड-सप्लार्इ की स्थिति पहले से बेहतर हुर्इ है। इससे रुपया समेत कर्इ देशों की मुद्राअों का प्रदर्शन अच्छा हुआ है।