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शेयर बाजार काे कांग्रेस नहीं BJP है पसंद, अगर बनती है सरकार तो इनकी होगी बल्ले-बल्ले

मंगलवार काे भी बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। हालांकि चुनावी नतीजों के रूझाने के बीच शुरुआती गिरावट के बाद बाजार में हल्की रिकवरी देखने को मिल रही हैं।

नई दिल्लीDec 11, 2018 / 01:18 pm

Ashutosh Verma

शेयर बाजार काे कांग्रेस नहीं BJP है पसंद, अगर बनती है सरकार तो इनकी होगी बल्ले-बल्ले

नर्इ दिल्ली। चुनावी नतीजों की वजह से हमेशा ही दलाल स्ट्रीट में उठापटक देखने को मिलता है। सोमवार को सप्ताह के पहले कारोबारी सत्र के दौरान बाजार में भारी गिरावट देखने को मिला जिसके बाद मंगलवार काे भी बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। हालांकि चुनावी नतीजों के रूझाने के बीच शुरुआती गिरावट के बाद बाजार में हल्की रिकवरी देखने को मिल रही हैं। मंगलवार सुबह में इक्विटी इंडेक्स में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गर्इ थी। नतीजे जारी होने के बाद बाजार को लेकर निवेशकों में सतर्कता देखने को मिल सकती है। एेसे में आइए जानते हैं कि मार्केट विश्लेषक आैर ब्रोकरेज फर्म्स का इसपर क्या कहना है।


केड़िया सिक्योरिटीज के एमडी विजय केड़िया ने क्या कहा

विजय केड़िया का कहना है कि चुनाव से इन्वेस्टमेंट फैसलों को लेकर कोर्इ चिंता नहीं होनी चाहिए। केड़िया का कहना है कि निवेशकों को नहीं बल्कि प्रबंधकों को चुनावी नतीजे, माॅनसून, महंगार्इ दर आैर ट्रेड वाॅर जैसे मुद्दों के बारे में सोचना चाहिए। निवेशकों को एेसी कंपनी में निवेश करना चाहिए जिनका प्रबंधन पिछले 15 सालों में अच्छा रहा है।


कोटक इन्स्टिट्यूशनल इक्विटी रिसर्च

इनका कहना है कि अगर भाजपा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आैर राजस्थान में 3-0 से जीतती है या फिर इन तीनों राज्यों में 2-1 से जीतती है तो घरेलू बाजार में अधिक नुकसान नहीं देखने को मिलेगा। हालांकि बाजार पर वैश्विक परिस्थितियों का असर हावी रह सकता है। बाजार में अभी आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर साकारात्मक रुख देखने को मिल रहा है।


सारथी समूह के एमडी व सीआर्इआे कुंज बंसल का क्या कहना है

एक बिजनेस चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कुंज बंसल ने कहा कि बाजार में छोटी अवधि को ध्यान में रखकर कोर्इ भी फैसला काफी चुनौतीपूर्ण है। पांज राज्यों में एसेंबली इलेक्शन के नतीजों से बाजार में पर असर देखने को जरूर मिलेगा। अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह से ही लार्जकैप में 8 से 9 फीसदी की तेजी दर्ज की गर्इ है। वहीं दूसरी तरफ, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव से भी बाजार पर असर देखने को मिलेगा। इन सब बातों को ध्यान में रखें तो बाजार एक अधिक उतार-चढ़ाव नहीं बल्कि सिमित दायरे में कारोबार देखने को मिलेगा।

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