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मॉर्गन स्टेनली व क्रेडिट सुइस ने भारत के इक्विटी बाजार को लेकर दिए सकारात्मक संकेत

locationनई दिल्लीPublished: Nov 27, 2018 04:09:58 pm

Submitted by:

manish ranjan

माॅर्गन स्टेनली के एशियार्इ प्रमुख आैर उभरते बाजारों के इक्विटी रणनीतिकार जोनाथन कार्टर ने रिपोर्ट को लेकर कहा, ‘हमारे अर्थशास्त्री खास तौर से भारत और इंडोनेशिया को लेकर आशावादी हैं, जिसे बाहर की आसान स्थितियों और आर्थिक नीतियों का फायदा मिलेगा।

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मॉर्गन स्टेनली व क्रेडिट सुइस ने भारत के इक्विटी बाजार को लेकर दिए सकारात्मक संकेत

नर्इ दिल्ली। आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के नतीजे को लेकर उतार-चढ़ाव के बावजूद वैश्विक ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस और मॉर्गन स्टेनली भारतीय इक्विटी बाजार को लेकर धीरे-धीरे सकारात्मक हो रही हैं। 2019 के लिए स्टैनली के विश्लेषकों ने ब्राजील, थाइलैंड और इंडोनेशिया के अलावा भारत को लेकर अपना ओवरवेट रुख दोहराया है।


भारत में पूंजीगत खर्च में सुधार

माॅर्गन स्टेनली के एशियार्इ प्रमुख आैर उभरते बाजारों के इक्विटी रणनीतिकार जोनाथन कार्टर ने रिपोर्ट को लेकर कहा, ‘हमारे अर्थशास्त्री खास तौर से भारत और इंडोनेशिया को लेकर आशावादी हैं, जिसे बाहर की आसान स्थितियों और आर्थिक नीतियों का फायदा मिलेगा। भारत में पूंजीगत खर्च में सुधार नजर आ रहा है।’


क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट ने बदला रुख

सितंबर के शुरू में निवेशकों को इक्विटी बाजार में मुनाफावसूली की सलाह देने वाली क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट ने भी अपना रुख बदल लिया है। इसने कहा है कि निफ्टी 50 सूचकांक 12 महीने आगे के 15.7 गुने PE पर कारोबार कर रहा है, जो लंबी अवधि के 15 गुने के औसत से थोड़ा ज्यादा है और जनवरी 2018 के मुकाबले 10 फीसदी टूटा है। ये चीजें उच्च गुणवत्ता वाली कंपनियों के शेयर निचले स्तर पर खरीदने का मौका देता है। फर्म ने ये बातें नवंबर की रिपोर्ट में कही है।


निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह

क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के जितेंद्र गोहिल ने कहा कि, ‘आय में गिरावट और विधानसभा और आम चुनावों के नतीजों के लेकर हम निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं और इनसे कर्ज में फंसी कंपनियों से दूर रहने को कह रहे हैं। निवेशकों को उन कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए जिनके नतीजे अच्छे रहे हैं। हमें कंज्यूमर स्टेपल, एनर्जी और यूटिलिटीज के अलावा निजी क्षेत्र के बैंक पसंद हैं।


मिडकैप और स्मॉलकैप में गिरावट

भारी बिकवाली के चलते एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी सितंबर और अक्टूबर में करीब 12 फीसदी टूटे और नवंबर में बाजार में सुधार हुआ। मिडकैप और स्मॉलकैप में गिरावट और भी ज्यादा रही और दोनों सूचकांक बीएसई पर सितंबर और अक्टूबर में क्रमश: 13 फीसदी और 17 फीसदी टूटे। विश्लेषकों ने कहा, चूंकि भारत तेल का शुद्ध आयातक है, लिहाजा कच्चे तेल की कीमतों की चाल का यहां महंगाई, चालू खाते के घाटे और राजकोषीय घाटे पर असर पड़ता है।
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