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मुकेश अंबानी ZeeTv ग्रुप में खरीद सकते हैं बड़ी हिस्सेदारी, ये कंपनियां भी हैं दौड़ में शामिल

Published: Jan 28, 2019 01:45:18 pm

Submitted by:

manish ranjan

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी 1992 में शुरू हुए जीटीवी समूह को बचाने के लिए आगे आ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार जियो ऐस्सेल समूह को बचाने के लिए विचार कर रही है।

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मुकेश अंबानी ZeeTv ग्रुप में खरीद सकते हैं बड़ी हिस्सेदारी, ये कंपनियां भी हैं दौड़ में शामिल

नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी 1992 में शुरू हुए जीटीवी समूह को बचाने के लिए आगे आ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार जियो ऐस्सेल समूह को बचाने के लिए विचार कर रही है। आपको बता दें कि जियो ऐस्सेल समूह की आधे से ज्यादा हिस्सेदारी खरीद सकती है।


सुभाष चंद्रा के पास है तीन महीने का समय

आपको बता दें कि जी ग्रुप के मालिक सुभाष चंद्रा के पास तीन महीने का समय है। इन तीन महीनों में वह अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं। जियो के अलावा कई अन्य कंपनियां भी जी ग्रुप की हिस्सेदारी खरीदने के लिए आगे आ सकती हैं। इस हिस्सेदारी की रेस में अमेजन, एप्पल, टेनसेंट और अलीबाबा के अलावा एटीएंडटी, सिंगटेल, कोमकास्ट व सोनी पिक्चर्स नेटवर्क शामिल हैं। साथ ही जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज लिमिटेड के प्रमोटर्स अपनी 50 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने जा रहे हैं।


चेयरमैन ने मांगी माफी

आपको बता दें कि चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने माना है कि कंपनी की माली हालत नाजुक है, जिसको लेकर उन्होंने एक चिट्ठी में लिख कर कहा कि समय पर कर्ज नहीं चुका पाने के लिए वो कर्ज देने वालों से माफी मांगते हैं। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वो हर किसी का एक एक पैसा वापस चुकाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।


1992 में की थी शुरूआत

वर्तमान में राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा ने 1992 में जीटीवी की शुरूआत की थी। आपको बता दें कि उश समय यह भारत का पहला निजी सैटेलाइट चैनल था। इसको शुरू करने के बाद जी ग्रुप के आज 55 से अधिक राष्ट्रीय व विभिन्न भाषाओं के चैनल हैं।


कर्ज को नहीं किया जाएगा डिफॉल्ट घोषित

इसके साथ ही एस्सेल समूह ने रविवार को जानकारी देते हुए बताया कि वह इस समय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने नकारात्मक ताकतों को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, समूह के अधिकारियों की रविवार को म्यूचुअल फंड तथा गैर-बैंकिंग कर्जदाताओं के मीटिंग हुई थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कर्ज को डिफॉल्ट घोषित नहीं किया जाएगा।

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