इस हिसाब से तय होता है घरेलू बाजार में र्इंधन का भाव
सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रुड आॅयल का भाव पिछले 13 महीनों के न्यूनतम स्तर पर फिसलते हुए 59.2 डाॅलर प्रति बैरल रहा। जबकि इंडियन आॅयल काॅर्पोरेशन के मुताबिक, मंगलवार को राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का भाव 74.07 रुपए प्रति लीटर व डीजल का भाव 68.89 रुपए प्रति लीटर रहा। दरअसल, र्इंधन आयात किए जाने पर पेट्रोल-डीजल की कीमत काॅस्ट आॅफ इन्क्लुसिव फ्रेट (सीएंडएफ) के बेंचमार्क कि हिसाब से तय होता है। इसके बाद तेल विपणन कंपनियों व डीलरों का कमीशन, राज्य सरकारों द्वारा वैट व केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी लगाया जाता है।
अाम जनता को नहीं मिल रहा कटौती का पूरा फायदा
9 अक्टूबर के बाद से अब तक कच्चे तेल की कीमतों में 30 फीसदी की गिरावट हुर्इ है। जबकि घरेलू बाजार में पेट्रोल की कीमतों में अब तक 9 फीसदी व डीजल की कीमतों 7 फीसदी की गिरावट हुर्इ है। इस मामले से जुड़े विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू बाजार में र्इंधन की कीमतों में इस अंतर का कारण यह भी है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव का असर घरेलू बाजार में 15 दिनों बाद दिखार्इ देता है। हालांकि कर्इ विश्लेषकों का मानना है कि एेसा होने के बाद भी र्इंधन की कीमतों में कटौती का सही फायदा अाम जनता तक नहीं पहुंच रही हैं।
क्या नुकसान की भरपार्इ कर रही तेल कंपनियां
गौरतबल है कि मौजूदा समय में तेल विपणन कंपनियों पर कर्इ तरह के दबाव हैं। एक तरफ रिफाइनिंग मार्जिन पहले की तुलना में काफी कम हुआ है वहीं 4 अक्टूबर को किए गए 1 रुपए प्रति लीटर की कटौती के बाद मार्केटिंग मार्जिन लगभग न के बराबर है। एेसे में तेल कंपनियां इस विंडो का इस्तेमाल अपने नुकसान की भरपार्इ करने में कर सकती है। हालांकि कर्इ जानकारों का कहना है कि भविष्य में तेल की कीमतों में गिरावट का दौर रहेगा या नहीं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रुड आॅयल के भाव में कितनी कमी आती है।