scriptलॉकडाउन बढने के कारण ऑयल मार्केट में हाहाकार, 8 रुपए/लीटर पर पहुंचे दाम | Oil market crash due to increasing lockdown, price reach Rs 8 per litr | Patrika News

लॉकडाउन बढने के कारण ऑयल मार्केट में हाहाकार, 8 रुपए/लीटर पर पहुंचे दाम

locationनई दिल्लीPublished: Apr 17, 2020 03:59:39 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

भारतीय वायदा बाजार में क्रूड ऑयल के दाम 1381 रुपए प्रति बैरल तक पहुंचे दाम
डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल के दाम 1999 के बाद अब तक से सबसे निचले स्तर पर
वर्ष 2001 के ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचे

Crude oil Market

नई दिल्ली। ओपेक द्वारा क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन की बात कही हो, लेकिन भारत और विदेशी बाजारों में क्रूड ऑयल के दाम में भारी गिरावट देखने को मिली है। वास्तव में क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में डिमांड के मुकाबले 3 गुना कम की कटौती का फैसला हुआ है। पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन बढ़ा रही है। ऐसे में डिमांड में भी लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से कीमतों में गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है। अगर बात भारत की करें को क्रूड ऑयल ऐतिहासिक कीमतों पर पहुंच गया है। लीटर के हिसाब से भारत में क्रूड ऑयल 8 रुपए के स्तर पर आ गया है। वहीं विदेशी बाजारों की बात करें तो अमरीकी तेल 21 साल के निचले स्तर पर और ब्रेंट क्रूड ऑयल 19 साल के न्यूनतम स्तर पर देखने को मिल रहा है।

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भारत में 8 रुपए पर पहुंचा क्रूड
देश में लॉकडाउन बढऩे के कारण डिमांड काफी कम हो गई है जिसकी वजह से भारत में क्रूड ऑयल के दाम मेें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। आंकड़ों की मानें तो भारतीय वायदा बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 1381 रुपए प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गए। करीब 12 फीसदी की गिरावट के साथ क्रूड ऑयल का यह स्तर पर अब तक का सबसे निचला है। एक बैरल में 159 लीटर होते हैं। ऐसे में भारत में क्रूड ऑयल की कीमत 8 रुपए प्रति बैरल पर आ गए हैं। आपको बता दें कि भारत में क्रूड ऑयल का उच्चतम स्तर 2013 में देखने को मिला था। तब क्रूड ऑयल 7700 रुपए प्रति बैरल स्तर पहुंच गए थे। तब से क्रूड ऑयल के दाम में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

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विदेशी बाजारों में क्रूड ऑयल हुआ सस्ता
वहीं बात विदेशी बाजारों की बात करें तो नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई क्रूड 18.25 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गए हैं। 8 फीसदी से ज्यादा गिरावट साथ डब्ल्यूटीआई क्रूड 21 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं बात ब्रेंट क्रूड ऑयल की करें तो 27.80 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे हैं। ब्रेंट का यह 19 साल के सबसे निचला स्तर है। जानकारों की मानें तो विदेशी बाजारों में गिरावट की असल वजह डिमांड में कमी है। इसी वजह से ओपेक और नॉक ओपेक देशों की डील भी कुछ सहयोग नहीं कर पा रही है।

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ओपेक की रिपोर्ट
ओपेक की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के कारण मौजूदा साल में करीब 7 फीसदी कमी की आशंका है। मौजूदा तिमाही में ऑयल डिमांड के 30 साल के निचले स्तर पर पहुंचने की संभावना है। ओपेक के अनुसार ऑयल डिमांड में रिकॉर्ड 6.8 मिलियन बैरल प्रति दिन की गिरावट देखने को मिल सकती है। ओपेके केे अनुसार कोरोना वायरस की वजह से 2020 वल्र्ड ग्रोथ व्यू 2.4 फीसदी कम कर -1.5 फीसदी कर दिया है। जबकि भारत की जीडीपी ग्रोथ के व्यू को 5.2 फीसदी से कम 2 फीसदी किया है। वहीं ओपेक ने 2020 वल्र्ड ऑयल डिमांड ग्रोथ व्यू में 6.9 मिलियन बैरल प्रति दिन की कटौती की है।

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आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा
वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कटौती को भारत के लिए फायदा का सौदा बताया है। उन्होंने कहा है कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कटौती देखने को मिल रही है। जिसका फायदा भारत को होगा। आपको बता दें कि भारत कच्चे तेल के बड़े आयातक देशों में से एक है। वहीं भारत के टोटल इंपोर्ट बिल का सबसे बड़ा हिस्सा कच्चे तेल का ही होता है। जिसे वह विदेशी मुद्रा देकर चुकाता है। आरबीआई गवर्नर के अनुसार देश के पास 476 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है जो 11 महीने के आयात के लिए काफी है।

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क्या कहते हैं जानकर
एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट ( कमोडिटी एंड रिसर्च ) अनुज गुप्ता ने बताया कि पूरी दुनिया में कच्चे तेल की डिमांड में काफी गिरावट है। दुनियाभर के सभी देशों की ओर से लॉकडाउन के सीमा को बढ़ा दिया है। ऐसे में उन देशों में पेट्रोल और डीजल की डिमांड में काफी कम हो गई है। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय गुप्ता ने बताया कि मौजूदा तिमाही में क्रूड ऑयल की डिमांड में 30 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। वहीं ओपेक ने प्रोडक्शन कट 10 फीसदी ही किया है। जिसकी वजह से भारत और विदेशी बाजारों में कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। प्रोडक्शन कट 35 से 40 फीसदी करने की जरुरत है। उसके बाद ही कीमतों में थोड़ी स्थिरता देखने को मिल सकती है।

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