तेल कंपनियों को नहीं मिला लिखित निर्देश
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने तेल कंपनियों को निर्देश दिया है कि अभी से लेकर चुनाव तक तेल की कीमतों में एकाएक अधिक वृद्धि न करें। ऐसे में तेल कंपनियों वैश्विक फैक्टर को देखते हुए तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कुछ हिस्से का भार खुद भी उठाएं। हालांकि, ध्यान देने वाली बात है कि इन सरकारी तेल कंपनियों को लिखित तौर पर कोई निर्देश नहीं दिया गया है। चूंकि, इन तेल कंपनियों में सरकार की भी भागीदारी है, ऐसे में उन्हें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि ग्राहकों को तेल की कीमतों में अचानक भारी बढ़ोतरी का बोझ नहीं उठाना पड़े।
वैश्विक स्तर पर बढ़ोतरी होने के बाद भी स्थिर रहे तेल के दाम
बताते चलें कि गत जनवरी माह से लेकर अब तक 10 ऐसे मौके रहे हैं जब पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ। जबकि डीजल की कीमतों को लेकर 12 ऐसे में मौंके रहे जब इनमें कोई बदलाव नहीं देखने को मिला। इस मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि एक तरफ जहां कच्चे तेल की कीमतों मिनटों एवं घंटों में बदलती है, ऐसे में कई दिनों तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रहने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। गत 9 फरवरी को वैश्विक स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा मूल्यों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन छह बार ऐसा हुआ है तेल कंपनियों ने इसे स्थिर रखा है। इसमें 5-8 मार्च के दौरान लगातार चार दिनों तक तेल की खुदरा मूल्य को स्थिर रखा था।
तेल की कीमतों में प्रतिदिन बदलाव करने को लेकर स्वतंत्र हैं तेल कंपनियां
तेल कंपनियों के अधिकारियों से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि बीते एक माह में तेल की कीमतों में इसलिए अधिक बदवाल नहीं देखने को मिला क्योंकि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल में स्थिरता देखने को मिली है। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां वैश्विक बाजार को देखते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव करने के लिए स्वतंत्र हैं। एक अन्य जानकार ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि तेल की कीमतों में प्रतिदिन बदलाव होने के बाद भी तेल कंपनियों को सरकार के कुछ निर्देशों का पालन करना पड़ता है।
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