अवैध लाभार्थी उठा रहे थे फायदा
खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि, राशन कार्ड की डिजीलीकरण करने की पूरी प्रक्रिया जनवरी 2013 में शुरु की गई थी। पिछले चार वर्षों में इस प्रक्रिया में तेजी आई है। इससे उन लोगों पर शिकंजा कसने मेंं कामयाबी हासिल हुई जो लोग योग्य न होने के बावजूद भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले सब्सिडी दर पर गेंहूँ, चावल आदि जैस अनाज की खरीदारी करते थे। इससे सरकार को सलाना लगभग 17,500 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ता था। हालांकि सरकार को इस राशि से कोई खास फायदा नहीं होगा क्योंकि नए लाभार्थियों की संख्या बढ़ी है। लेकिन इससे वैध लाभार्थियों को राशन कार्ड का फायदा मिल रहा है।
82 फीसदी पूरा हुआ अधार-राशन कार्ड लिंक की प्रक्रिया
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत फिलहाल 23.19 करोड़ लोगों को राशन कार्ड के जरिए सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। इसके साथ ही लगभग 82 फीसदी राशन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया जा चुका है। उम्मीद है कि अभी और अवैध राशन कार्ड को सिस्टम से निकालने में मदद मिलेगी जब लिंकिंग की प्रक्रिया 100 फीसदी पूरी हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक फ्रॉड
मंत्रालय के आकंडे के हिसाब से अवैध राशन कार्ड में से लगभग 50 फीसदी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से है। वहीं महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलांगना, राजस्थान, छत्तीसगढ़, और मध्य प्रदेश से भी अवैध राशन कार्ड की संख्या बड़ी है।