RBI के इस फैसले के बाद रोटी तो नहीं लेकिन 'इडली' खाना आपके लिए हो सकता है दूभर
RBI के फैसले से पहले चीनी के न्यूतम समर्थन मूल्य को पहले ही बढ़ाया जा चुका है।

नर्इ दिल्ली। आज आपने सुबह नाश्ते में क्या खाया है? घी में चुपड़ी हुर्इ रोटियां या फिर साउथ इंडियन लजीज व्यंजन इडली? खैर इस बात की चिंता न करें कि हम आपसे ये सवाल क्यों पूछ रहे हैं। लेकिन जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं उसे जानकर आपकी चिंता जरूर बढ़ जाएगी। पिछले दिन ही (बुधवार) भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी किया है। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी की गर्इ है। इससे पहले चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य को पहले ही बढ़ाया जा चुका है। एेसे में आइए जानते हैं की नाश्तो को लेकर आपकी चिंता क्यों बढ़ सकती है।
वित्त मंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को 1.5 गुना बढ़ाने का किया था वादा
इस वित्त वर्ष का यूनियन बजट पेश करते समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वादा किया था कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को करीब 1.5 गुना बढ़ाया जाएगा। वित्त मंत्री के इस वादे से पहले से ही मुद्रास्फीति की मार झेल रही अारबीआर्इ बैकफुट पर जा चुकी थी। आरबीआर्इ इसको लेकर अब तक तो सतर्क थी लेकिन उसने अब इसको लेकर भी फैसला ले लिया है। अब, इसका असर आपके नाश्ते की प्लेट पर दिख सकता है।
साउथ इंडियन थाली पर पड़ेगा असर
एक ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, इसका असर नाॅर्थ इंडियन खाने के मुकाबले साउथ इंडियन थाली पर सबसे अधिक पड़ेगा। इडली जैसे साउथ इंडियन खाने पर इसलिए पड़ेगा क्योंकि इनमें अधिकतर चावल, उड़द दाल आैर अरहर दाल का इस्तेमाल होता है। आैर इसपर अप्रैल की तुलना में जुलार्इ माह में करीब 100 बेसिस प्वाइंट का असर देखने को मिल सकता है। जब तक सब्जियों के दाम स्थिर रहते हैं तब तक नाॅर्थ इंडियन थाली पर इसका असर कम देखने को मिलेगा। क्योंकि इस बात की उम्मीद है कि चने आैर गेहूं पर लगने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले की तरह ही बना रहेगा।
शहरी क्षेत्र के लोगों पर कम पड़ेगा असर
वही शहरी क्षेत्रों में नाश्ते के लिए अधिकतर इस्तेमाल होने वाले काॅर्न फ्लेक्स, हेल्थी फूड ड्रिंक्स जैसे बाॅर्नविटा आैर हाॅरलिक्स जैसे प्रोडक्ट को सीपीआर्इ में शामिल नहीं किया गया है। एेसे में शहरी क्षेत्र के लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती है।
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